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कुल्लू जिले का इतिहास क्या है?history of kullu himachal in hindi
कुल्लू रियासत की स्थापना कब और किसने की थी?Establishment of Kullu State
1 . कुल्लू रियासत की स्थापना - कुल्लू का पौराणिक ग्रन्थों में ' कुल्लूत देश ' के नाम से वर्णन मिलता है । रामायण , विष्णुपराण । भारत , मारकडेण्य पुराण , वृहत्संहिता और कल्हण की राजतरंगिणी में ' कुल्लूत ' का वर्णन मिलता है । वैदिक साहित्य में कूलूत देश । | गन्धवों की भूमि कहा गया है । कुल्लू घाटी को कुलांतपीठ भी कहा गया है क्योंकि इसे रहने योग्य संसार का अंत माना गया था । । कुल्लू रियासत की स्थापना विहंगमणिपाल ने हरिद्वार ( मायापुरी ) से आकर की थी । विहंगमणिपाल के पूर्वज इलाहाबाद । प्रयागराज ) से अल्मोड़ा और फिर हरिद्वार आकर बस गये थे । विहंगमणिपाल स्थानीय जागीरदारों से पराजित होकर प्रारंभ में जगतसुख के चपाईराम के घर रहने लगे । भगवती हिडिम्बा देवी के आशीर्वाद से विहंगमणिपाल ने रियासत की पहली राजधानी ( नास्त ) जगतसुख स्थापित की । विहंगमणिपाल के पुत्र पच्छपाल ने ' गजन ' और ' बेवला ' के राजा को हराया ।
2. कुल्लू रियासत की सात वजीरियाँ(Seven Wazirs of Kullu State)
1 . परोल वजीरी ( कुल्लू )
2 . वजीरी रूपी ( पार्वत और सैंज खड्ड के बीच )
3 . वजीरी लग महाराज ( सरवरी और सुल्तानपुर से बजौरा तक )
4 . बजीरी भंगाल
5 . वजीरी लाहौल
6 . वजीरी लग सारी ( फोजल और सरवरी खड्ड के बीच )
7 . वजीरी सिराज ( सिराज को जालौरी दर्रा दो भागों में बाँटता है
2कुल्लू में महाभारत काल क्या है?
कुल्लु में पाल वंश का शासनकाल कब तक रहा?Pal Dynasty in Kullu
8 . जारेश्वर पाल ( 780 - 800 ई . ) - जारेश्वर पाल ने बुशहर रियासत की सहायता से कुल्लू को चम्बा से मुक्त करवाया ।
( B ) सिंह बदानी वंश - कैलाशपाल के बाद के 50 वर्षों के अधिकतर समय में कुल्लू सुकेत रियासत के अधीन रहा । वर्ष 1500 ई . में सिद्ध सिंह ने सिंह बदानी वंश की स्थापना की । उन्होंने जगतसुख को अपनी राजधानी बनाया ।
कुल्लू में सिंह वंश के राजा और उनका का शासन काल कब तक रहा?Singh Dynasty in Kullu
1 . बहादुर सिंह ( 1532 ई . ) - बहादुर सिंह सुकेत के राजा अर्जुन सेन का समकालीन था । बहादुर सिंह ने वजीरी रूपी को कुल्लू राज्य का भाग बनाया । बहादुर सिंह ने मकरसा में अपने लिए महल बनवाया । मकरसा की स्थापना महाभारत के विदुर के पुत्र मकस ने की थी । राज्य की राजधानी उस समय नग्गर थी । बहादुर सिंह ने अपने पुत्र प्रताप सिंह का विवाह चम्बा के राजा गणेश वर्मन की बेटी से करवाया । बहादुर सिंह के बाद प्रताप सिंह ( 1559 - 1575 ) , परतप सिंह ( 1575 - 1608 ) , पृथ्वी सिंह ( 1608 - 1635 ) और कल्याण सिंह ( 1635 - 1637 ) मुगलों के अधीन रहकर कुल्लू पर शासन कर रहे थे ।
2 . जगत सिंह ( 1637 - 72 ई . ) - जगत सिंह कुल्लू रियासत का सबसे शक्तिशाली राजा था । जगत सिंह ने लग वजीरी और बाहरी सिराज पर कब्जा किया । उन्होंने डूग्गीलग के जोगचंद और सुल्तानपुर के सुल्तानचंद ( सुल्तानपुर का संस्थापक ) को 1650 - 55 के बीच पराजित कर ' लग ' वजीरी पर कब्जा किया का वजीरी पर कब्जा किया । औरंगजेब उन्हें ' कुल्लू का राजा ' कहते थे । कुल्लू के राजा जगत सिंह ने 1640 ई . में दाराशिकोह के विरुद्ध विद्रोह किया तथा 1657 इ . में उसके फरमान को मानने से मना कर दिया था बाह्मण की आत्महत्या के दोष से मुक्त होने के लिए राजपाठ रघुनाथ जी को सौंप दिया । राजा जगतसिंह ने टिप्परी ' के ब्राह्मण की आत्महत्या के दोष से मुक्त होने के लिए जगत सिंह ने 1653 में दामोदर दास ( ब्राह्मण ) से रघुनाथ जी की प्रतिमा अयोध्या से मंगवा कर राजपढ सोंफ दिया। राजा जगत सिंह के समय से ही कुल्लू के ढालपुर मैदान पर कुल्लू का दशहरा मनाया जाता है ।
3 . मानसिंह ( 1688 - 1702 ई . ) - कुल्लू के राजा मानसिंह ने मण्डी पर आक्रमण कर गुम्मा ( दंग ) नमक की खाना में कब्जा जमाया । उन्होंने 1688 ई . में वीर भंगाल क्षेत्र पर नियंत्रण किया । उन्होंने लाहौल - स्पीति को अपने अधीन कर तिबत की सीमा लिंगटी नदी के साथ निधारित की । राजा मानसिंह ने शांगरी और बुशहर रियासत के पण्ड्रा ब्यास क्षेत्र को बीी अपने अधीन किया । उनके शासन में कुल्लू रियासत का क्षेत्रफल 10 , 000 वर्ग मील हो गया।
4 . राजसिह ( 1702 - 1731 ई . ) - राजा राजसिंह के समय गुरु गोविंद सिंह जी ने कुल्लू की यात्रा की ।
5 . टेढ़ी सिंह ( 1742 - 1767 ई . ) - राजा टेढ़ी सिंह के समय घमण्ड चंद ने कुल्लू पर आक्रमण किया ।
6 . प्रीतम सिंह ( 1767 - 1806 ) - प्रीतम सिंह संसारचंद द्वितीय का समकालीन राजा था । उसके समय कुल्लू का वजीर भागचंद था
7 . विक्रम सिंह ( 1806 - 1816 ई . ) - राजा विक्रम सिंह के समय में 1810 ई . में कुल्लू पर पहला सिक्ख आक्रमण हुआ जिसका नेतृत्व दीवान मोहकम चंद कर रहे थे ।
_ 8 . अजीत सिंह ( 1816 - 1841 ई . ) - राजा अजीत सिंह के समय 1820 ई . में विलियम मूरक्राफ्ट ने कुल्लू की यात्रा की । कुल्लू प्रवास पर आने वाले वह पहले यूरोपीय यात्री थे । राजा अजीत सिंह को सिक्ख सम्राट शेरसिंह ने कुल्लू रियासत से खदेड़ दिया ( 1840 ई . में ) । ब्रिटिश संरक्षण के अधीन सांगरी रियासत में शरण लेने बाद 1841 ई . में अजीत सिंह की मृत्यु हो गई । कुल्लू रियासत 1840 ई . से 1846 ई . तक सिक्खों के अधीन रही।
कुल्लू जिले का निर्माण कब हुआ ?Construction of Kullu district
9 . ब्रिटिश सत्ता एवं जिला निर्माण - प्रथम सिख युद्ध के बाद 9 मार्च , 1846 ई . को कुल्लू रियासत अंग्रेजों के अधीन आ गया । अंग्रेजों ने वजीरी रूपी को कुल्लू के शासकों को शासन करने के लिए स्वतंत्र रूप से प्रदान किया । लाहौल - स्पीति को 9 मार्च , 1846 को कुल्लू के साथ मिलाया गया । स्पीति का लद्दाख से कुल्लू मिलाया गया । कुल्लू को 1846 ई . में कांगड़ा का उपमण्डल बनाकर शामिल किया गया । कुल्लू उपमण्डल का पहला सहायक आयुक्त कैप्टन हेय था । सिराज तहसील का उस समय मुख्यालय बजार था । स्पीति को 1862 में सिराज से निकालकर कुल्लू की तहसील बनाया गया । वर्ष 1863 ई . में वायसराय लार्ड एल्गिन कुल्लू आने वाले प्रथम वायसराय थे । कुल्लू उपमण्डल से अलग होकर लाहौल - स्पीति जिले का गठन 30 जून , 1960 ई . को हुआ । कुल्लू उपमण्डल को 1963 ई . में काँगड़ा से अलग कर पंजाब का जिला बनाया गया । कुल्लू जिले के पहले उपायुक्त गुरचरण सिंह थे । कुल्लू जिले का 1 नवम्बर , 1966 ई . को पंजाब से हिमाचल प्रदेश में विलय हो गया ।