Himachal Pradesh

हैलो दोस्तो, इस टॉपिक में हम हिमाचल प्रदेश का प्राचीन इतिहास cover करेंगे मुझे उम्मीद है कि आपको टॉपिक पसंद आयेगा। और किसी भी सरकारी नौकरी में इस टॉपिक से बाहर प्रश्न नहीं आयेगा। आप शुरू से अन्त तक टॉपिक को दो से तीन बार पढ़े। चलिए शुरू करते है।

1.  हिमाचल प्रदेश का प्राचीन इतिहास क्या है?

 ( 1) प्रागैतिहासिक काल - prehistoric times - मारकण्डा और सिरसा - सतलुज घाटी में पाए गए औजार चालीस हजार वर्ष पुराने हैं । हि . प्र . का प्रागैतिहासिक काल मध्य एशिया से आर्यों तथा भारत के मैदानी इलाकों से पहाड़ों पर लोगों के बसने का इतिहास प्रस्तुत करता है । भारत के मैदानों से आकर बसने वाले लोगों से पूर्व कोल जिन्हें आज कोली , हाली , डोम और चनाल कहा जाता है । सम्भवतः हिमाचल के प्राचीनतम निवासी हैं

वैदिक काल और खस -Vedic period and poppy 

( 2) वैदिक काल और खस - ऋग्वेद में हि . प्र . के प्राचीन निवासियों का दस्यु , निषाद और दशास के रूप में वर्णन मिलता है । दस्यु राजा ' शाम्बर ' के पास यमुना से व्यास के बीच की पहाड़ियों में 99 किले थे । ऋग्वेद के अनुसार दस्यु राजा शाम्बर और आर्य राजा दिवोदास के बीच 40 वर्षों तक युद्ध हुआ । अंत में दिवोदास ने उदब्रज नामक स्थान पर शाम्बर का वध कर दिया । मंगोलोयड जिन्हें ' भोट और किरात ' के नाम से जाना जाता है । हिमाचल में बसने वाली दूसरी प्रजाति बन गई । ये लोग हिमाचल के ऊपरी क्षेत्रों
में बस गये । ' आर्य ' या ' खस ' हिमाचल में प्रवेश करने वाली तीसरी प्रजाति थी । खसों के सरदार को मवाना ' कहा जाता था । ये लोग खद को क्षत्रिय मानते थे । समय के साथ ये खस समूह ' जनपदों ' में बदल गये । वैदिक काल में पहाड़ों पर आक्रमण करने वाला दूसरा आर्य राजा सहस्रार्जुन था , जिसने जमदग्नि ऋषि की गायें छीन ली थीं । जमदग्नि के पुत्र परशुराम ने सहस्रार्जुन का वध कर दिया । परशुराम के डर से क्षत्रिय खस ऊपरी भू - भागों में आकर बस गए और मवाणा राज्यों की स्थापना की । उत्तर वैदिक काल में बहुत से साधु - संतों ने हिमाचल को अपनी कर्मभूमि बनाया ।
  रेणुका से जमदग्नि , मणिकर्ण से वशिष्ठ , निर्मण्ड से परशराम और बिलासपुर में व्यास गुफा से ऋषि व्यास सम्बन्धित हैं । ऋषि भारद्वाज आर्य राजा दिवोदास के मुख्य सलाहकार थे ।

2.महाभारत काल क्या था? हिमाचल में चार जनपद कोन से थे?

 ( 3 ) महाभारत काल और चार जनपद - महाभारत काल के समय त्रिगर्त के राजा सुशर्मा ने महाभारत युद्ध में कौरवों की सहायता की थी । पाण्डवों ने अज्ञातवास का समय हिमाचल की ऊपरी पहाड़ियों में व्यतीत किया था । कश्मीर , औदुम्बर और त्रिगर्त के शासक युधिष्ठिर को कर देते थे । कुलिन्द रियासत ने पाण्डवों की अधीनता स्वीकार की थी । कुल्लू की कुलदेवी राक्षसी देवी हिडिम्बा का भीम से विवाह हुआ था । महाभारत में 4 जनपदों त्रिगर्त , औदुम्बर , कुलुटा और कुलिन्द का विवरण मिलता है ।

औदुम्बर कौन थे?

 1 . औदुम्बर - महाभारत के अनुसार औदुम्बर विश्वामित्र के वंशज थे जो कौशिक गौत्र से सम्बन्धित है । औदुम्बर राज्य के सिक्के काँगड़ा , पठानकोट , ज्वालामुखी , गुरदासपुर और होशियारपुर के क्षेत्रों में मिले हैं जो उनके निवास स्थान की पुष्टि करते हैं । ये लोग शिव की पूजा करते थे । पाणिनि के ' गणपथ ' में भी औदुम्बर जाति का विवरण मिलता है । अदुम्बर वृक्ष की बहुलता के कारण यह जनपद औदुम्बर कहलाया ।

त्रिगर्त क्या था?

 2 . त्रिगर्त - त्रिगर्त जनपद की स्थापना 8वीं BC से 5वीं BC के बीच सुशर्म चन्द्र द्वारा की गई । सुशर्म चन्द्र ने महाभारत युद्ध में कौरवों की सहायता की थी । सुशर्मचन्द्र ने पाण्डवों को अज्ञातवास में शरण देने वाले मत्स्य राजा ' विराट ' पर आक्रमण किया था । जो कि उसका पड़ोसी राज्य था । त्रिगर्त , रावी , व्यास और सतलुज नदियों के बीच का भाग था । सुशर्म चन्द्र ने काँगड़ा किला बनाया और नागरकोट को अपनी राजधानी बनाया । कनिष्क ने 6 राज्य समूहों को त्रिगर्त का हिस्सा बताया था । कौरव शक्ति , जलमनी, जानकी , बृहगुप्त, दंडकी, त्रिगर्त के हिस्से थे।

कुल्लूत क्या  था?

 3 . कुल्लूत - कुल्लूत राज्य व्यास नदी के ऊपर का इलाका था जिसका विवरण रामायण , महाभारत और मत्स्य पुराण में मिला है । इसकी प्राचीन राजधानी ' नग्गर ' थी जिसका विवरण पाणिनि की ' कत्रेयादी गंगा में मिलता है । कुल्लू घाटी में राजा विर्यास नाम से 100 ई . का सबसे पुराना सिक्का मिलता है । इस पर ' प्राकत ' और ' खरोष्ठी ' भाषा में लिखा गया है । कुल्लूत रियासत की स्थापना ' प्रयाग ' ( इलाहाबाद ) से आये ' विहंगमणि पाल ' ने की थी ।

कुलिंद क्या है?

 4 . कुलिंद - महाभारत के अनुसार कलिंद पर अर्जुन ने विजय प्राप्त की थी । कुलिंद रियासत व्यास , सतलुज और यमुना के बीच की भूमि थी जिसमें सिरमौर , शिमला , अम्बाला और सहारनपुर के क्षेत्र शामिल थे । वर्तमान समय के " कुनैत " या " कनैत " का सम्बन्ध कुलिंद से माना जाता है । कुलिंद के चांदी के सिक्के पर राजा ' अमोघभूति का नाम खुदा हुआ मिला है । यमुना नदी का पौराणिक नाम ' कालिंदी ' है और इसके साथ - साथ पर पड़ने वाले क्षेत्र को कुलिंद कहा गया है ।

3.सिकंदर का आक्रमण कब हुआ था? Alexander's invasion -

( 5 ) सिकंदर का आक्रमण - सिकंदर ने 326 BC के समय भारत पर आक्रमण किया और व्यास नदी तक पहुँच गया । सिकंदर के सैनिकों ने व्यास नदी के आगे जाने से इंकार कर दिया था । इसमें सबसे प्रमुख उसका सेनापति कोइनोस ' था । सिकंदर ने व्यास । नदी के तट पर अपने भारत अभियान की निशानी के तौर पर 12 स्तूपों का निर्माण करवाया था जो अब नष्ट हो चके हैं

मौर्य काल ,चन्द्रगुप्त मौर्य कब तक रहा?
Mauryan period, Chandragupta Maurya

 मौर्य काल - सिकंदर के आक्रमण के पश्चात् चन्द्रगुप्त मौर्य ने भारत में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की । विशाखादत्त के मुदाराक्षस के अनुसार किरात , कुलिंद और खस आदि युद्धप्रिय जातियों ने चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना में भर्ती होकर नंदवश को समाप्त मादी राज्यों पर कब्जा करने का प्रयास किया जिसका कि कुल्लूत के राजा करने में योगदान दिया । चन्द्रगुप्त मौर्य ने बाद में इन पहाड़ी राज्यों पर कब्जा करने का प्रयास किया जिसका चित्रवर्मन सहित 5 राजाओं ने मिलकर विरोध किया कलिंद राज्य को मौर्य काल मौर्य काल में शिरमौर्य कहा गया क्योंकि कुलिंद राज्य मौर्य साम्राज्य के शीर्ष पर स्थित था । कालांतर में यह शिरमौर्य सिरमौर बन गया । बौद्ध भिक्षुओं को हिमालय में बौद्ध धर्म के प्रचार के लिये भेजा । हेनसांग चन्द्रगप्त मौर्य के पोते अशोक ने मझिम्म और 4 बौद्ध भिक्षुओं को हिमालय में बौद्ध धर्म है । बौद्ध स्तपों का निर्माण करवाया था । कुल्लू के कलथ और काँगड़ा के चैतडू में अशोक निर्मित स्तूप स्थित है । कालसी ( उत्तराखण्ड ) में अशोककालीन शिलालेख पाए गए हैं ।

( 6 ) मौर्योत्तर काल - मौर्यों के पतन के बाद शुंग वंश पहाड़ी गणराज्यों को अपने अधीन नही रख पाये ओर बे स्वतन्त्र हो गए। ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी के आसपास शकों का आक्रमण शुरू हुआ । शकों के बाद कषाणों के सबसे प्रमुख राजा कनिष्क के शासनकाल
में पहाड़ी राज्यों ने समर्पण कर दिया और कनिष्क की अधीनता स्वीकार कर ली कुषाणों के 40 सिक्के
 कालका - कसौली सड़क पर मिले हैं । कनिष्क का एक सिक्का काँगड़ा के कनिहारा में मिला है । पहाड़ी राजा कुषाणों के साथ अपने सिक्के चलाने के लिए स्वतंत्र थे ।

( 7 ) गुप्तकाल - गुप्त साम्राज्य की नींव चंद्रगुप्त - प्रथम के दादा श्री गुप्त ने रखी । समुद्रगुप्त ( भारत का नेपोलियन ) इस वंश का सबसे प्रतापी राजा था । हरिषेण के इलाहाबाद प्रशस्ति से पता चलता है कि पहाड़ों के सभी राजाओं ने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली थी और समुद्रगुप्त को अपना स्वामी मानकर जागीरदारों की तरह उसे कर देते थे । उनकी सारी भूमि गुप्त वंश साम्राज्य की मानी जाती थी । गुप्तकाल में औदुम्बर जनपद ( गणराज्य ) का जिक्र नहीं मिलता है । शायद वह शकों के राजा मिनेण्डर
 ( मिलिन्द ) के आक्रमण से दुर्बल होकर अन्य राज्यों से मिल गया होग

( 8 ) हूण - गुप्तवंश की समाप्ति का मुख्य कारण हूणों का आक्रमण था । हूणों का प्रमुख राजा ' तोरमाण ) और उसका पुत्र ' मिहिरकुल ' था । गुज्जर और गद्दी स्वयं को हूणों के वंशज मानते हैं ।

र्द्धन काल एवं हेनसांग कब हिमाचल आए?
 Vardhan Period and Hensang -

( 9) वर्द्धन काल एवं हेनसांग - हर्षवर्धन 606 ई . में भारत की गद्दी पर बैठा । उसके शासनकाल में पाटलिपुत्र , थानेश्वर और कन्नौज शासन के प्रमुख केन्द्र रहे । उसके शासनकाल में हेनसांग ने भारत की 630 - 644 ई . तक यात्रा की । ह्वेनसांग 635 ई . में जालंधर ( जालंधर - त्रिगर्त की राजधानी ) आया और वहाँ के राजा उतीतस ( उदिमा ) का 4 माह तक मेहमान रहा । भारत से चीन वापसी के समय 643 ई . में भी वह जालंधर में रुका था । हेनसांग ने जालंधर के बाद कुल्लू , लाहौल और सिरमौर की यात्रा भी की । हर्षवर्धन की 676 ई . में मृत्यु हो गई । ' कल्हण ' की पुस्तक ' राजतरंगिणी ' में कश्मीर के राजा ललितादित्य और यशोवर्मन के बीच युद्ध का विवरण मिलता है । त्रिगर्त , ब्रह्मपुरा ( चम्बा ) और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों पर यशोवर्मन के प्रभाव का विवरण मिलता है । नवीं शताब्दी में त्रिगर्त और ऊपरी सतलुज क्षेत्रों पर कश्मीर राज्य का अधिकार हो गया ।

Other important topics for Govt. exam 


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हिमाचल का प्राचीन इतिहास क्या है? चार जनपद कोन से थे?

Himachal Pradesh

हैलो दोस्तो, इस टॉपिक में हम हिमाचल प्रदेश का प्राचीन इतिहास cover करेंगे मुझे उम्मीद है कि आपको टॉपिक पसंद आयेगा। और किसी भी सरकारी नौकरी में इस टॉपिक से बाहर प्रश्न नहीं आयेगा। आप शुरू से अन्त तक टॉपिक को दो से तीन बार पढ़े। चलिए शुरू करते है।

1.  हिमाचल प्रदेश का प्राचीन इतिहास क्या है?

 ( 1) प्रागैतिहासिक काल - prehistoric times - मारकण्डा और सिरसा - सतलुज घाटी में पाए गए औजार चालीस हजार वर्ष पुराने हैं । हि . प्र . का प्रागैतिहासिक काल मध्य एशिया से आर्यों तथा भारत के मैदानी इलाकों से पहाड़ों पर लोगों के बसने का इतिहास प्रस्तुत करता है । भारत के मैदानों से आकर बसने वाले लोगों से पूर्व कोल जिन्हें आज कोली , हाली , डोम और चनाल कहा जाता है । सम्भवतः हिमाचल के प्राचीनतम निवासी हैं

वैदिक काल और खस -Vedic period and poppy 

( 2) वैदिक काल और खस - ऋग्वेद में हि . प्र . के प्राचीन निवासियों का दस्यु , निषाद और दशास के रूप में वर्णन मिलता है । दस्यु राजा ' शाम्बर ' के पास यमुना से व्यास के बीच की पहाड़ियों में 99 किले थे । ऋग्वेद के अनुसार दस्यु राजा शाम्बर और आर्य राजा दिवोदास के बीच 40 वर्षों तक युद्ध हुआ । अंत में दिवोदास ने उदब्रज नामक स्थान पर शाम्बर का वध कर दिया । मंगोलोयड जिन्हें ' भोट और किरात ' के नाम से जाना जाता है । हिमाचल में बसने वाली दूसरी प्रजाति बन गई । ये लोग हिमाचल के ऊपरी क्षेत्रों
में बस गये । ' आर्य ' या ' खस ' हिमाचल में प्रवेश करने वाली तीसरी प्रजाति थी । खसों के सरदार को मवाना ' कहा जाता था । ये लोग खद को क्षत्रिय मानते थे । समय के साथ ये खस समूह ' जनपदों ' में बदल गये । वैदिक काल में पहाड़ों पर आक्रमण करने वाला दूसरा आर्य राजा सहस्रार्जुन था , जिसने जमदग्नि ऋषि की गायें छीन ली थीं । जमदग्नि के पुत्र परशुराम ने सहस्रार्जुन का वध कर दिया । परशुराम के डर से क्षत्रिय खस ऊपरी भू - भागों में आकर बस गए और मवाणा राज्यों की स्थापना की । उत्तर वैदिक काल में बहुत से साधु - संतों ने हिमाचल को अपनी कर्मभूमि बनाया ।
  रेणुका से जमदग्नि , मणिकर्ण से वशिष्ठ , निर्मण्ड से परशराम और बिलासपुर में व्यास गुफा से ऋषि व्यास सम्बन्धित हैं । ऋषि भारद्वाज आर्य राजा दिवोदास के मुख्य सलाहकार थे ।

2.महाभारत काल क्या था? हिमाचल में चार जनपद कोन से थे?

 ( 3 ) महाभारत काल और चार जनपद - महाभारत काल के समय त्रिगर्त के राजा सुशर्मा ने महाभारत युद्ध में कौरवों की सहायता की थी । पाण्डवों ने अज्ञातवास का समय हिमाचल की ऊपरी पहाड़ियों में व्यतीत किया था । कश्मीर , औदुम्बर और त्रिगर्त के शासक युधिष्ठिर को कर देते थे । कुलिन्द रियासत ने पाण्डवों की अधीनता स्वीकार की थी । कुल्लू की कुलदेवी राक्षसी देवी हिडिम्बा का भीम से विवाह हुआ था । महाभारत में 4 जनपदों त्रिगर्त , औदुम्बर , कुलुटा और कुलिन्द का विवरण मिलता है ।

औदुम्बर कौन थे?

 1 . औदुम्बर - महाभारत के अनुसार औदुम्बर विश्वामित्र के वंशज थे जो कौशिक गौत्र से सम्बन्धित है । औदुम्बर राज्य के सिक्के काँगड़ा , पठानकोट , ज्वालामुखी , गुरदासपुर और होशियारपुर के क्षेत्रों में मिले हैं जो उनके निवास स्थान की पुष्टि करते हैं । ये लोग शिव की पूजा करते थे । पाणिनि के ' गणपथ ' में भी औदुम्बर जाति का विवरण मिलता है । अदुम्बर वृक्ष की बहुलता के कारण यह जनपद औदुम्बर कहलाया ।

त्रिगर्त क्या था?

 2 . त्रिगर्त - त्रिगर्त जनपद की स्थापना 8वीं BC से 5वीं BC के बीच सुशर्म चन्द्र द्वारा की गई । सुशर्म चन्द्र ने महाभारत युद्ध में कौरवों की सहायता की थी । सुशर्मचन्द्र ने पाण्डवों को अज्ञातवास में शरण देने वाले मत्स्य राजा ' विराट ' पर आक्रमण किया था । जो कि उसका पड़ोसी राज्य था । त्रिगर्त , रावी , व्यास और सतलुज नदियों के बीच का भाग था । सुशर्म चन्द्र ने काँगड़ा किला बनाया और नागरकोट को अपनी राजधानी बनाया । कनिष्क ने 6 राज्य समूहों को त्रिगर्त का हिस्सा बताया था । कौरव शक्ति , जलमनी, जानकी , बृहगुप्त, दंडकी, त्रिगर्त के हिस्से थे।

कुल्लूत क्या  था?

 3 . कुल्लूत - कुल्लूत राज्य व्यास नदी के ऊपर का इलाका था जिसका विवरण रामायण , महाभारत और मत्स्य पुराण में मिला है । इसकी प्राचीन राजधानी ' नग्गर ' थी जिसका विवरण पाणिनि की ' कत्रेयादी गंगा में मिलता है । कुल्लू घाटी में राजा विर्यास नाम से 100 ई . का सबसे पुराना सिक्का मिलता है । इस पर ' प्राकत ' और ' खरोष्ठी ' भाषा में लिखा गया है । कुल्लूत रियासत की स्थापना ' प्रयाग ' ( इलाहाबाद ) से आये ' विहंगमणि पाल ' ने की थी ।

कुलिंद क्या है?

 4 . कुलिंद - महाभारत के अनुसार कलिंद पर अर्जुन ने विजय प्राप्त की थी । कुलिंद रियासत व्यास , सतलुज और यमुना के बीच की भूमि थी जिसमें सिरमौर , शिमला , अम्बाला और सहारनपुर के क्षेत्र शामिल थे । वर्तमान समय के " कुनैत " या " कनैत " का सम्बन्ध कुलिंद से माना जाता है । कुलिंद के चांदी के सिक्के पर राजा ' अमोघभूति का नाम खुदा हुआ मिला है । यमुना नदी का पौराणिक नाम ' कालिंदी ' है और इसके साथ - साथ पर पड़ने वाले क्षेत्र को कुलिंद कहा गया है ।

3.सिकंदर का आक्रमण कब हुआ था? Alexander's invasion -

( 5 ) सिकंदर का आक्रमण - सिकंदर ने 326 BC के समय भारत पर आक्रमण किया और व्यास नदी तक पहुँच गया । सिकंदर के सैनिकों ने व्यास नदी के आगे जाने से इंकार कर दिया था । इसमें सबसे प्रमुख उसका सेनापति कोइनोस ' था । सिकंदर ने व्यास । नदी के तट पर अपने भारत अभियान की निशानी के तौर पर 12 स्तूपों का निर्माण करवाया था जो अब नष्ट हो चके हैं

मौर्य काल ,चन्द्रगुप्त मौर्य कब तक रहा?
Mauryan period, Chandragupta Maurya

 मौर्य काल - सिकंदर के आक्रमण के पश्चात् चन्द्रगुप्त मौर्य ने भारत में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की । विशाखादत्त के मुदाराक्षस के अनुसार किरात , कुलिंद और खस आदि युद्धप्रिय जातियों ने चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना में भर्ती होकर नंदवश को समाप्त मादी राज्यों पर कब्जा करने का प्रयास किया जिसका कि कुल्लूत के राजा करने में योगदान दिया । चन्द्रगुप्त मौर्य ने बाद में इन पहाड़ी राज्यों पर कब्जा करने का प्रयास किया जिसका चित्रवर्मन सहित 5 राजाओं ने मिलकर विरोध किया कलिंद राज्य को मौर्य काल मौर्य काल में शिरमौर्य कहा गया क्योंकि कुलिंद राज्य मौर्य साम्राज्य के शीर्ष पर स्थित था । कालांतर में यह शिरमौर्य सिरमौर बन गया । बौद्ध भिक्षुओं को हिमालय में बौद्ध धर्म के प्रचार के लिये भेजा । हेनसांग चन्द्रगप्त मौर्य के पोते अशोक ने मझिम्म और 4 बौद्ध भिक्षुओं को हिमालय में बौद्ध धर्म है । बौद्ध स्तपों का निर्माण करवाया था । कुल्लू के कलथ और काँगड़ा के चैतडू में अशोक निर्मित स्तूप स्थित है । कालसी ( उत्तराखण्ड ) में अशोककालीन शिलालेख पाए गए हैं ।

( 6 ) मौर्योत्तर काल - मौर्यों के पतन के बाद शुंग वंश पहाड़ी गणराज्यों को अपने अधीन नही रख पाये ओर बे स्वतन्त्र हो गए। ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी के आसपास शकों का आक्रमण शुरू हुआ । शकों के बाद कषाणों के सबसे प्रमुख राजा कनिष्क के शासनकाल
में पहाड़ी राज्यों ने समर्पण कर दिया और कनिष्क की अधीनता स्वीकार कर ली कुषाणों के 40 सिक्के
 कालका - कसौली सड़क पर मिले हैं । कनिष्क का एक सिक्का काँगड़ा के कनिहारा में मिला है । पहाड़ी राजा कुषाणों के साथ अपने सिक्के चलाने के लिए स्वतंत्र थे ।

( 7 ) गुप्तकाल - गुप्त साम्राज्य की नींव चंद्रगुप्त - प्रथम के दादा श्री गुप्त ने रखी । समुद्रगुप्त ( भारत का नेपोलियन ) इस वंश का सबसे प्रतापी राजा था । हरिषेण के इलाहाबाद प्रशस्ति से पता चलता है कि पहाड़ों के सभी राजाओं ने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली थी और समुद्रगुप्त को अपना स्वामी मानकर जागीरदारों की तरह उसे कर देते थे । उनकी सारी भूमि गुप्त वंश साम्राज्य की मानी जाती थी । गुप्तकाल में औदुम्बर जनपद ( गणराज्य ) का जिक्र नहीं मिलता है । शायद वह शकों के राजा मिनेण्डर
 ( मिलिन्द ) के आक्रमण से दुर्बल होकर अन्य राज्यों से मिल गया होग

( 8 ) हूण - गुप्तवंश की समाप्ति का मुख्य कारण हूणों का आक्रमण था । हूणों का प्रमुख राजा ' तोरमाण ) और उसका पुत्र ' मिहिरकुल ' था । गुज्जर और गद्दी स्वयं को हूणों के वंशज मानते हैं ।

र्द्धन काल एवं हेनसांग कब हिमाचल आए?
 Vardhan Period and Hensang -

( 9) वर्द्धन काल एवं हेनसांग - हर्षवर्धन 606 ई . में भारत की गद्दी पर बैठा । उसके शासनकाल में पाटलिपुत्र , थानेश्वर और कन्नौज शासन के प्रमुख केन्द्र रहे । उसके शासनकाल में हेनसांग ने भारत की 630 - 644 ई . तक यात्रा की । ह्वेनसांग 635 ई . में जालंधर ( जालंधर - त्रिगर्त की राजधानी ) आया और वहाँ के राजा उतीतस ( उदिमा ) का 4 माह तक मेहमान रहा । भारत से चीन वापसी के समय 643 ई . में भी वह जालंधर में रुका था । हेनसांग ने जालंधर के बाद कुल्लू , लाहौल और सिरमौर की यात्रा भी की । हर्षवर्धन की 676 ई . में मृत्यु हो गई । ' कल्हण ' की पुस्तक ' राजतरंगिणी ' में कश्मीर के राजा ललितादित्य और यशोवर्मन के बीच युद्ध का विवरण मिलता है । त्रिगर्त , ब्रह्मपुरा ( चम्बा ) और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों पर यशोवर्मन के प्रभाव का विवरण मिलता है । नवीं शताब्दी में त्रिगर्त और ऊपरी सतलुज क्षेत्रों पर कश्मीर राज्य का अधिकार हो गया ।

Other important topics for Govt. exam 


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