शिमला का इतिहास History of shimla
( A ) शिमला जिले का इतिहास - शिमला पहाड़ी रियासतों में बुशहर सबसे बड़ी और रतेश ( 2 वर्ग मील ) सबसे छोटी रियासत है । शिमला जिले की पहाड़ी रियासतों का विवरण निम्नलिखित है।
1 . बलसन - बलसन रियासत की स्थापना सिरमौर रियासत के राठौर वंशज “ अलक सिंह " ने 12वीं शताब्दी में की थी । यह रियासत 1805 ई . से पूर्व सिरमौर रियासत की जागीर थी । गोरखा आक्रमण के समय ( 1805 ई . में ) यह रियासत कुमारसेन की जागीर थी और इस पर जोग राज सिंह का राज था । जोगराजसिंह ने गोरखा युद्ध में ब्रिटिश सरकार की सहायता की और नागन दुर्ग डेविड आक्टरलोनी को सौंप दिया था । बलसन को शासक ठाकुर जोगराज सिंह को स्वतंत्र सनद 1815 ई . में प्रदान की गई । बलसन रियासत ने 1857 ई . के विद्रोह में ब्रिटिश सरकार का साथ दिया और बहुत से यूरोपीय नागरिकों को अपने यहाँ शरण दी । बलसन के शासक जोगराज को ब्रिटिश सरकार ने 1858 ई . में " खिल्लत " और " राणा " का खिताब दिया ।
बलसन रियासत का वरीयता में शिमला पहाड़ी रियासतों में 11वां स्थान था । बलसन रियासत के अन्तिम राणा, रण भादुर सिंह थे । “ हिस्ट्री ऑफ बलसन स्टेट " उन्हीं की लिखी पुस्तक है । वर्तमान में बलसन ' ठियोग ' तहसील का हिस्सा है ।
2 . भज्जी - भज्जी रियासत की स्थापना कुटलेहर रियासत के वंशज “ चारू " ने की थी जिसने बाद में अपना नाम बदलकर उदयपाल रख लिया था । चारू की 29वीं पीढ़ी के सोहनपाल ने सुन्नी शहर की स्थापना कर भज्जी रियासत की राजधानी भज्जी से सुन्नी स्थानांतरित की । भज्जी रियासत पर 1803 से 1815 ई . तक गोरखों का कब्जा रहा । गोरखों को 1815 में निकालने के बाद ब्रिटिश सरकार ने राणा रुद्धपाल को स्वतंत्र सनद प्रदान की । राणा रूद्रपाल 1842 ई . में राजगद्दी त्याग कर हरिद्वार आश्रम में रहने लगे । मज्जी रियासत के अन्तिम शासक राणा रामचन्द्र पाल थे । भज्जी को 1948 में तहसील बनाकर ( महासू ) हि . प्र . में विलय किया गया । वर्तमान में भज्जी सुन्नी तहसील का भाग है ।
3 . कोटी - कोटी रियासत की स्थापना कुटलेहर रियासत के वशंज चारू के भाई ' चन्द्र ' ने की थी । कोटी रियासत की राजधानी कोटी थी जिसे बाद में ताराचन्द ठाकर ने क्यार कोटी में स्थानांतरित किया । कोटी रियासत पर 1809 ई . में गोरखों ने कब्जा कर लिया । 1815 ई . में कोटी रियासत पनः क्योंथल रियासत की जागीर बन गई । हरिचद ने 1857 ई . में अंग्रेजों की मदद की जिसके बदले उन्हें ' राणा ' का खिताब दिया गया । कोटी रियासत कुसुमपटी तहसील का भाग बनकर 1948 ई . में ( महासू जिला ) हि . प्र . में मिल गई ।
4 . दारकोटी - दारकोटी रियासत की स्थापना मारवाड़ ( जयपुर ) से आए दुर्गा चंद ने की थी । दारकोटी रियासत वर्तमान में कोट खाई तहसील में पड़ती है । दारकोटी 1948 ई . में महासू जिले में मिला दी गई ।
5 . यरोच - थरोच रियासत की स्थापना उदयपुर के सिसौदिया वंश के राजकुमार “ किशन सिंह " ने की थी जिन्हें थरोच जागीर उपहार स्वरूप सिरमौर रियासत से प्राप्त हुई थी । ठाकुर कर्म सिंह 1815 ई . में गोरखा आक्रमण के समय थरोच के शासक थे । ब्रिटिश सरकार ने 1843 ई . में थरोच से अपना नियंत्रण हटाकर रणजीत सिंह को गद्दी पर बैठाया । थरोच रियासत के अंतिम शासक ठाकुर सूरत सिंह को " राणा " की स्थायी उपाधि मिली । थरोच रियासत को 15 अप्रैल , 1948 ई . को चौपाल में मिलाकर ( महासू जिला ) हि . प्र . का भाग बनाया गया ।
6 . ढाटी - ढाढी रियासत थरोच की प्रशाखा थी जिस पर बाद में बुशहर का कब्जा हो गया । गोरखा आक्रमण के समय ढाढी राबिनगढ़ में मिला दी गई । वर्ष 1896 ई . में राबिनगढ़ और ढाढी को जुब्बल रियासत की जागीरें बना दिया गया । वर्ष 1948 में टाढी जुब्बल तहसील ( महासू जिला ) का भाग बनकर हि . प्र . में मिली ।
7.कुमारसेन - कमारसेन रियासत की स्थापना गया ( बिहार ) से आए किरात चंद ( सिंह ) ने की थी । अजमेर सिंह ने कुल्लू के राजा मान सिंह को हराकर ' सारी ' और ' शांगरी ' किले पर कब्जा किया था । गोरखा आक्रमण के समय कुमारसेन बुशहर रियासत की जागीर थी । कुमारसेन के राणा केहर सिंह ने गोरखा आक्रमण के समय कुल्लू रियासत में शरण ली थी । राणा प्रीतम चंद ने श्रीगढ़ दर्ग की घेराबन्दी में ब्रिटिश सरकार की मदद की थी । राणा विद्याधर सिंह कुमारसेन के अन्तिम शासक थे । कुमारसेन 15 अप्रैल 1948 को महासू जिले का भाग बना ।
8.खनेटी रियासत की स्थापना कुमारसेन रियासत के संस्थापक किरात चंद के पत्र सबीर चंद ने की थी । गोरखों के बाद ( 1815 ई . ) खनेटी बुशहर रियासत की जागीर बन गई जो 1890 ई . में लालचंद ठाकुर के शासन में स्वतन्त्र हो गई ।
9 . देलथ - देलथ रियासत की स्थापना किरात चंद के भाई पृथ्वी सिंह ने की थी । यह भी 1815 ई . में बुशहर रियासत जागीर थी । देलथ को 15 अप्रैल , 1948 ई . में बुशहर रियासत में मिलाकर महासू जिले का हिस्सा बनाया गया । वर्तमान में यह बुशहर तहसील का भाग है ।
10 . धामी - धामी रियासत की स्थापना पृथ्वीराज चौहान के वंशज गोविंद पाल ने की थी जो राजपुरा ( पटियाला ) से धामी आया था । धामी रियासत के राजा राजसिंह ने ' पाल ' के स्थान पर सिंह ' प्रत्यय ' लगाना शुरू किया । गोरखा आक्रमण ( 1805 ई . ) से पुर्व धामी बिलासपुर ( कहलूर ) रियासत की जागीर थी । धामी पर 1805 से 1815 तक गोरखों का कब्जा रहा । अंग्रेज - गोरखा युद्ध ( 1815 में धामी के राणा गोवर्द्धन ने अंग्रेजों का साथ दिया जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने उन्हें स्वतन्त्र सनद प्रदान की । राणा गोवर्धन सिंह ने 1857 ई . के विद्रोह में भी अंग्रेजों की सहायता की थी । धामी रियासत की राजधानी ' हलोग ' थी । धामी को 15 अप्रैल , 1948 ई . में कुसुमपट्टी तहसील का भाग बनाकर महासू जिले में मिलाया गया ।
11 . जुब्बल - जुब्बल रियासत की स्थापना उग्रचंद के पुत्र और शुभंश प्रकाश के भाई कर्मचंद ने 1195 ई . में की थी । जुब्बल रियासत शुरू में सिरमौर रियासत की जागीर थी जो कि गोरखा - ब्रिटिश युद्ध के बाद स्वतन्त्र हो गई । कर्मचंद ने जुब्बल रियासत की राजधानी सुनपुर में स्थापित की जिसे बाद में उन्होंने पुराना जुब्बल में स्थानांतरित किया । जुब्बल रियासत की राजधानी पुराना जुब्बल से देवरा ( वर्तमान जुब्बल ) राणा गौर चन्द ने स्थानांतरित की । गोरखा आक्रमण के समय पूर्ण चंद जुब्बल रियासत के शासक थे । जुब्बल रियासत 1815 ई . को स्वतंत्र रियासत बनी । राणा पूर्णचंद को ब्रिटिश सरकार ने ' राणा ' की उपाधि प्रदान कर ( 1815 ई . में ) स्वतंत्र । सनद प्रदान की । जुब्बल रियासत में 1841 ई . में थरोच , 1896 ई . में रार्वी और ढाढी को मिलाया गया । पूर्णचंद के बाद राणा कर्मचंद । शासक बने जो कला प्रेमी होने के साथ - साथ कठोर और क्रूर शासक थे । जुब्बल रियासत के शासक भक्तचंद को 1918 ई . में " राजा " का खिताब प्रदान किया गया था । जुब्बल रियासत के अंतिम शासक दिग्विजय चन्द थे । जुब्बल 15 अप्रैल , 1948 ई . में महासू जिले में मिलाया गया ।
12 . रावीनगढ़ ( रावी ) - रावीनगढ़ रियासत की स्थापना सिरमौरी राजा उग्रचंद के तीसरे पुत्र दुनीचंद ने की थी । सिरमौर के राजा वीर प्रकाश ने रावीगढ़ दुर्ग की स्थापना की । रावींनगढ़ रियासत के अंतिम शासक टिक्का फतेह सिंह थे । रावीनगढ़ वर्तमान में जुब्बल तहसील का भाग है ।
13 . रतेश - रतेश रियासत की स्थापना कर्म प्रकाश ( सिरमौर ) के भाई राय सिंह ने की थी । राजा सोमर प्रकश ने रतेश को रियासत की राजधानी बनाया । रतेश सबसे छोटी पहाड़ी रियासत ( 2 वर्ग मील ) थी । रतेश सिरमौर और क्योंथल की जागीर थी।गोरखा आक्रमण के समय किशन सिंह ( 7 वर्ष आयु ) ने सिरमौर में भागकर अपनी जान बचाई । ठाकुर शमशेर सिंह रतेश के आखिरी शासक थे।
14 . शांगरी - शांगरी रियासत पहले बुशहर के अधीन थी जिस पर कुल्लू के राजा मान सिंह ने कब्जा कर लिया । गोरखा ब्रिटिश युद्ध ( 1815 ई . ) के बाद विक्रम सिंह शांगरी के शासक बने । शांगरी रियासत 1815 ई . में कुल्लू रियासत को सौंपी गई ।हीरा सिंह को 1887 ई . में ' राय ' की उपाधि प्रदान की गई । राय रघुवीर सिंह शांगरी रियासत के अंतिम शासक थे । _ _ _
15 . क्योंथल - क्योंथल रियासत की स्थापना सुकेत रियासत के संस्थापक बीरसेन के छोटे भाई गिरिसेन ने 1211 में कि थी । 1379 ई . में क्योंथल रियासत फिरोजशाह तुगलक के अधीन आ गई थी । 1800 ई . से पूर्व क्योंथल रियासत के अधीन 18 ठकुराइयों थी । कोटी , घुण्ड , ठियोग , मधान , महलोग , कुठार , कुनिहार , धामी , थरोच , शांगरी , कुमारसेन , रजाणा , खनेटी , मैली , खालसी , बारी । दीघयाली और घाट । गोरखा आक्रमण के समय ( 1809 ई . ) राणा रघुनाथ सेन सुकेत भाग गये थे । क्योंथल की 18 ठकुराइयाँ 1814 ई . में अलग हुईं । वर्ष 1815 ई . में घूण्ड , मघान , रतेश , ठियोग और कोटी ठकुराइयाँ क्योंथल रियासत के अधीन आई । वर्तमान शिमला शहर कोयल रियासत के अधीन था जिसे 1830 ई . में ब्रिटिश सरकार ने रावी ठकुराई के बदले प्राप्त किया । क्योंथल रियासत की राजधानी जुंगा थी । क्योंथल के राणा संसार सेन ने 1857 ई . के विद्रोह में अंग्रेजों की मदद की जिसके बदले उन्हें ' राजा ' की उपाधि और " खिल्लत प्रदान किया गया । क्योंथल के राजा ने कुसुमपटी को 1884 ई . को ब्रिटिश सरकार को पट्टे पर दिया था । हितेंदर सेन क्योयल रियासत के अंतिम शासक थे । _ _ _
16 . घुण्ड - घूण्ड रियासत की स्थापना जनजान सिंह ने की थी । घूण्ड रियासत क्योंथल रियासत की जागीर थी । जो 1815 ई . में पुनः क्योंथल रियासत की जागीर बन गई । घूण्ड रियासत के अंतिम शासक रणजीत सिंह थे ।
17 . ठियोग - ठियोग रियासत की स्थापना कहलूर के जैसचंद ( जयचंद्र ) ने की थी । ठियोग रियासत क्योंथल रियासत की जागीर थी।कृष्णचन्द ठियोग रियासत के अंतिम शासक थे । ठियोग रियासत भारत में विलय होने वाली हि . प्र . की पहली रियासत थी ।
18 . मधान - मधान रियासत की स्थापना कहलूर रियासत के राजा भीमचंद के दूसरे पुत्र और जैसचंद ( ठियोग ) तथा जनजान पिण्ड ) के भाई भूप सिंह ने की थी । मधान क्योंथल रियासत की जागीर थी । नरेन्द्र सिंह मधान रियासत के अंतिम शासक थे । मधान रियासत ठियोग में मिलकर 1948 ई . में महासू जिले का भाग बनी ।
19 . कोटखाई - कोटखाई रियासत की स्थापना कुम्हारसेन के अहिमाल सिंह ने की थी । कोटखाई कुमारसेन , कुल्लू और बुशहर की जागीर रही थी ।
गोरखा - ब्रिटिश युद्ध ( 1815 ) के बाद कोटखाई राणा रणजीत सिंह को दी गई तथा कोटगढ़ ब्रिटिशरों ने स्वयं अपने पास रखी ।
20 . करांगला - करांगला की स्थापना कुम्हारसेन के संसारचंद ने की थी । करांगला रियासत बुशहर रियासत की जागीर थी ।
21 . सारी - सारी रियासत की स्थापना 1195 ई . में उग्रचंद ( सिरमौर ) के दूसरे पुत्र मूलचंद ने की थी । रोहणू सारी रियासत के अधीन था । पूर्ण सिंह सारी के अंतिम शासक थे । ब्रिटिश सरकार ने 1864 ई . में सारी को नजराने के रूप में बुशहर रियासत को दे दिया ।
बुशहर रियासत की स्थापना origen of Bushehr State
• राजा केहरी सिंह - राजा केहरी सिंह को “ अजानुबाह " कहा जाता था क्योंकि वह सीधे खड़े होकर अपने घुटने छू सकता था । औरंगजेब ने केहरी सिंह ( 1639 - 1696 ई . ) को ' छत्रपति ' के खिताब से सम्मानित किया था । राजा केहरी सिंह ने लवी मेला शुरू करवाया।
• राजा राम सिंह ( 1767 - 1799 ई . ) - राजा राम सिंह ने 1776 में स्पीति के ढांकर दुर्ग को अपने अधीन किया था । राजा रामसिंह ने बुशहर रियासत की राजधानी सराहन से रामपुर स्थानांतरित की ।
शिमला शहर का इतिहास History of Shimla city
शिमला शहर की खोज कब और किसने की थी?
2 . शिमला शहर की खोज - सन् 1817 ई . में स्कॉटलैण्ड के 2 अधिकारियों कैप्टन पैट्रिक जेराड और अलेक्जेन्डर जेराड ने अपनी यरी में शिमाला गाँव का वर्णन किया था । शिमला पहाड़ी रियासत के पहले असिस्टेंट पॉलिटिकल एजेन्ट लेफ्टिनेंट रोज ने 1819 ई . में शिमला की सर्वप्रथम खोज की और लकड़ी का मकान ( कॉटेज ) बनवाया । चार्ल्स पैट कैनेडी ने 1822 ई . में शिमला में पहला पक्का मकान बनवाया जो कैनेडी हाउस के नाम से विख्यात हुआ । लार्ड एमहर्ट शिमला आने वाले पहले गवर्नर जनरल थे जो 1827 ई . में शिमला के ग्रीष्मकालीन प्रवास के दोरान कोंनेडी हाउस के नाम से बिख्यात हुआ। लार्ड एमहस्ट शिमला आने वाले पहले गवर्नर जरनल थे जो 1827 में शिमला के ग्रीष्मकालीन प्रवास के दौरान केनेडी हाउस में ठहरे थे। इस दौरान उन्होंने ये शब्द बोले थे - मैं और चीन का राजा आधी मानव जाति पर राज करते हैं फिर भी हमें नाश्ते का समय मिल जाता है । " लॉर्ड काम्बरमेयर ने 1828 ई . में काम्बरमेयर पुल का निर्माण करवाया । शिमला में 1828 - 29 में बैंटिक कैसल , ऑकलैण्ड हाउस , स्नोडन और बैनिमोर भवन बनकर तैयार हुए ।
मेजर कनेटी ने शिमला पहाडी क्षेत्र में आलू की खेती शुरू करवाई । अफगानिस्तान पर हमले का फैसला 1838 ई . में ऑकलेण्ड हाउस में लिया गया । कर्नल रॉयनी ने 1838 ई . में रथनी कैसल का निर्माण करवाया । लाई ऑकलैंड प्रथम ब्रिटिश शासक थे जिन्होंने शिमला में अपने आवास के लिए 1836 ई . में जमीन खरीदी जिस पर जॉकलैण्ड हाउस का निर्माण हुआ ।
8 . 1860 - 1900 ई . की घटनाएँ - 1882 ई . में लार्ड रिपन ने पिन अस्पताल की नींव रखी जिसे 1885 ई . में लॉर्ड डफरिन ने जनता को समर्पित किया । शिमला के रोवनी कैसल में ए . ओ . यूम ने 1883 ई . में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना का विचार रखा । सन् 1857 ई . में महारानी विक्टोरिया के जयंती वर्ष पर गेवटी वियेटर खोला गया जिसमें " टाइम विल टेल " प्रथम नाटक का मंचन हुआ। 1880 ई . में शिमला में ' चार्ल्सटन ' घर खोला गया । लार्ड डफरिन के समय ऑब्जरवेटरी पर 1888 ई . को वाइसरीगल भवन तैयार हुआ । सर एरण्ड मोरटीमोर ने 1888 ई . में अन्नाडेल मैदान पर दुरण्ड कप शुरू करवाया जिसे बाद में शिमला से कलकत्ता ले जाया गया ।
कालका - शिमला रेलवे लाइन माल ढुलाई के लिए 1891 ई . में सर्वप्रथम खोली गई । इस रेल लाइन के मध्य इंजीनियर । एच . एस . हरिगटन थे । मालयू राम ने छड़ी द्वारा इस रेल लाइन का सर्वे किया था । इस रेल लाइन पर पहली ट्रेन 1903 ई . में चली। जिसे लार्ड कर्जन ने झण्डी दिखाई ।
9 . 1900 - 1920 ई . घटनाएँ - 1907 में शिमला बस स्टैण्ड का निर्माण हुआ । 1913 ई . में चम्बा विद्युत स्टेशन से शिमला को बिजली पहुंचाई गई । लेडी रीडिंग ने 1914 ई . में लेडी रीडिंग अस्पताल बनवाया जो वर्तमान में कमला नेहरू अस्पताल के नाम से जाना जाता है । विठ्ठल भाई पटेल ने 1914 में शिमला में आवज्ञा आंदोलन चलाया । 1904 ई . में गोर्टन कैसल में सिविल सचिवालय को स्थानांतरित किया गया । 1914 ई . में मैकमोहन रेखा ( भारत - चीन सीमा रेखा ) खींचने का निर्णय शिमला में लिया गया । 1904 में सेंट बोडून कॉलेज की स्थापना हुई ।
10 . 1920 से 1940 ई . तक की घटनाएँ - 1921 ई . में शिमला जिले से बेगार समाप्त किया गया । महात्मा गांधी अपनी पत्नी कस्तुरबा गांधी , लाला लाजपतराय और मदन मोहन मालवीय के साथ पहली बार 11 मई , 1921. को शिमला आए।ओर शांति कुटीर समर हिल में रुके। उन्होंने शिमला के ईदगाह में 15 हजार लोगों की सभा को सम्बोधित किया । महात्मा गांधी दूसरी बार 1931 में नेहरू पटेल , डा . अंसारी और खान अबदुल गफ्फार खान के साथ शिमला आए । लार्ड रीडिंग ने 1925 में कौंसिल चेम्बर वर्तमान (विधानसभा ) का उदघाटन किया । सेंट एडवर्ड स्कूल 1925 ई . में बना ।
11. 1940 - 1950 ई . की घटनाएँ - 1945 ई . में शिमला कांफ्रेस (बेवल सम्मेलन ) और 1946 ई . में कैबिनेट मिशन सम्मेलन शिमला 1942 ई . से 1945 ई . तक बर्मा के प्रवासी सरकार का मुख्यालय था । पीटर हॉफ में पंजाब हाईकोर्ट स्थित था।जिसमें ग़ांधी जी के हत्यारे नाथूराम गोडसे पर केस चला । पीटरहॉफ पंजाब का गवर्नर हाउस भी था जिसमें 1981 ई . में आग को दुसरे विश्वयुद्ध में विजय के उपलक्ष्य में 1945 ई . में शिमला में विक्टरी टनल का निर्माण किया गया । वॉयसरीगल लॉज को 1947 में राष्ट्रपति निवास कहा जाने लगा जिसका नाम 1965 ई . में बदलकर भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान ( IAS ) रखा गया इसका निर्माण लार्ड डफरिन ने करवाया था ।
12. 1950 के बाद की घटनाएं - शिमला 1953 तक पंजाब की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी । 1955 ई . में आकाशवाणी की स्थापना हुई । भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 ई . में ( बार्नस कोर्ट और एलर्जली में ) शिमला समझौता हआ । हि . स्टेट म्यूजियम की स्थापना 1974 ई . में हुई । स्नोडन अस्पताल का नाम 1985 ई . में IGMC ( इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज ) रखा गया । रिप्पन अस्पताल का नाम 1990 ई . में दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल रखा गया । बार्नस कोर्ट 1992 में हि . प्र . के गवर्नर का सरकारी आवास बना । गॉर्टन कैसल वर्तमान अकाउंटेन्ट जनरल ( महालेखाकार ) का कार्यालय है । हि . प्र . हाई कोर्ट रावेन्स बुड में स्थित है । बॉल सिंघम शिमला के उपायुक्त का सरकारी आवास है । ओकओवर मुख्यमन्त्री का सरकारी आवास है । रॉथनी कैसल ए . जी . शाम जऔर बुशहर के राजा का आवास था । एलसली और आमसडेल में हि . प्र . सचिवालय स्थित है । लार्ड किचनर की मृत्यु ढली संजोली ) सुरंग के निर्माण के दौरान हुई । पीटरहॉफ वर्तमान में हि . प्र . सरकार का स्टेट गेस्ट हाउस है । शिमला शहर 1 नवम्बर , 1966 ई . को हि . प्र . में मिलाया गया तब लेकर ( 1966 ) अब तक यह हि . प्र . की राजधानी है ।
शिमला जिले का गठन कब हुआ?Formation of Shimla district
( iv ) महासू और शिमला जिले का गठन - 15 अप्रैल , 1948 ई . को शिमला की 26 पहाड़ी रियासतों व ठकुराइयों को मिलाकर जिला महासू का गठन हजा । संजौली को कोटखाई कोटगढ़ और भरोली के बदले 1950 ई . में पंजाब के साथ मिलाया गया । जिला महान को समाप्त कर सितम्बर , 1972 ई . को शिमला जिले का निर्माण किया गया । शिमला शहर , संजौली , कण्डाघाट आदि 01 नवम्बर , 1966 ई . को हि . प्र . में मिलाये गये जिसके बाद 1972 में महासू और शिमला क्षेत्रों का पुनर्गठन कर शिमला व सोलन जिले का निर्माण किया गया । ( बागवानी - शिमला के मशोबरा में सबसे पहले 1887 ई . में सेब का पहला बगीचा लगाया गया । शिमला जिले के कोटगढ़ में 1918 ई . में सैम्युअल इवांस स्टोक्स ने अमेरिकी किस्म के सेब लगाये । शिमला जिले में सेब की ब्रिटिश किल्म एलेग्जेण्डर कोट्स ने सर्वप्रथम लगायी ।
( vi ) व्यक्तित्व - ( 1 ) टाकर रामलाल - ठाकुर रामलाल 1977 ई . में हि . प्र . के दूसरे मुख्यमंत्री बने । वह 1983 ई . में आंध्रप्रदेश के राज्यपाल बने । राज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों बनने वाले वह एकमात्र हिमाचली हैं ।
( 2 ) वीरभद्र सिंह - वीरभद्र सिंह 1983 ई . में पहली बार मुख्यमंत्री बने । वह 6 बार हि . प्र . के मुख्यमंत्री बने है ।
शिमला की अर्थव्यवस्था क्या है?
अर्थव्यवस्था - शिमला जिले के ज्यूरी में भेड़ प्रजनन केन्द्र स्थापित है जिसकी स्थापना 1965 ई . में की गई थी । शिमला पजाग जल विद्युत परियोजना , सावडा - कडड जल विद्युत परियोजना स्थित है । शिमला जिले के पाशी ( पाण्डव ) और शाठी ( कौरवों । के बीच ठोडा खेत खेला जाता है ।
जननांकीय आंकडे - शिमला जिले की जनसंख्या 1901 ई . में 2 , 30 , 144 से बढ़कर 1951 ई . में 2 . 86 . 111 हो गई । एवं 1971 में शिमला जिले की जनसंख्या 4 , 19 , 844 से बढ़कर 2011 में 8 , 13 , 384 हो गई । शिमला जिले में 1901 से 1911 कबीर जनसंख्या में ( - 2 . 80 % गिरावट दर्ज की गई जबकि 1961 से 1971 के बीच जनसंख्या में सर्वाधिक ( 22 . 96 % ) पद्धि वकी गई । शिमला जिले का लिंगानुपात 1901 ई . में 853 , 1951 ई . में 875 ; 1971 ई . में 869 और 2011 ई . में 916 दर्ज किया गया । शिमला जिले का लिंगानपात 1921 में न्यूनतम ( 842 ) और 2011 में अधिकतम ( 915 ) दर्ज किया गया । शिमला जिले 2201 में 26 . 13 % अनमचित जाति और 0 . 57 % अनसचित जनजाति की जनसंख्या निवास करती थी । शिमला जिले में 2011 R1884 ( 25 . 23 % ) जनसंख्या ग्रामीण और 2 , 01 , 500 ( 24 . 77 % ) जनसंख्या शहरी थी । शिमला जिले में 8 विधानसभा क्षेत्र , यसखण्ड , 363 ग्राम पंचायतें . 2520 आबाद गांव स्थित हैं । शिमला जिले की 2011 में 84 . 55 % साक्षरता दर 922 लगानुपात , 12 . 58 % दशकीय ( 2001 - 2011 ) जनसंख्या वृद्धि दर थी ।
दोस्तो अगर आपको पोस्ट अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तो के साथ भी शेयर करे । और हमें कॉमेंट बॉक्स में जरूर बताए। ऐसे ही नोट्स के लिए हमारी साइट में visit करे।