हिमाचल के इतिहास फ़ोटो

   1. बिलासपुर का इतिहास क्या है?कहलूर रियासत की स्थापना कब हुए?History of bilaspur himachal

कहलूर रियासत की स्थापना - विलासपुर पास्ट एण्ड प्रजेंट , विलासपुर गजेटियर और गणेश सिंह की पुस्तक चन्द्रवंश शशिवंश विनोद से पुष्टि होती है कि कहलूर रियासत की नींव बीरचंद ने 697 ई . में रखी जवकि डॉ . हचिसन एण्डवोगल हिस्टी की पुस्तक ऑफ पंजाब हिल स्टेट के अनुसार बीरचंद ने 900 ई . में कहलूर रियासत की स्थापना की । 

वीरचंद, चंदेल बुदेलखण्ड ( मध्य प्रदेश ) चन्देरी के चंदेल राजपूत थे । बीरचन्द के पिता हरिहर चंद के पाँच पुत्र थे । बीरचंद ने सतलुज पार कर सर्वप्रथम रुहंड ठाकुरों को हराकर किला स्थापित किया जो बाद में कोट - कहलूर किला कहलाया । वीरचंद ने नैणा के आग्रह पर नैना देवी मंदिर की स्थापना कर उसके नीचे अपनी राजधानी बनाई । पौराणिक कथाओं के अनुसार नैना देवी में सती के नैन गिरे थे । राजा वीर चंद ने 12 ठकुराइयों ( बाघल , कुनिहार , बेजा , धामी , क्योंथल , कुठाड , जुब्बल , बघाट , भजी , महलोग , मागल , वलसन ) को अपने नियंत्रण में किया । 

2.बिलासपुर के राजा और उनका शासन काल क्या है? 

( 2 ) कहालचंद - कहालचंद के पुत्र अजयचंद ने हण्डूर रियासत ( नालागढ़ ) की स्थापना की ।

3. मेघचंद - मेघचन्द को उसके कठोर बर्ताव के कारण जनता ने राज्य छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया । मेघचंद ने कुल्लू रियासत में शरण ली और इल्तुतमिश की सहायता से पुनः गद्दी प्राप्त की ।

 ( 4 ) अभिसंद चंद - अभिसंद चंद सिकंदर लोदी का समकालीन था । उसने तातार खान को युद्ध में हराया था 
( 5 ) सम्पूर्ण चंद - सम्पूर्णचंद को उसके भाई रतनचंद ने मरवा दिया था । 
( 6) ज्ञानचंद ( 1570 ई ) - ज्ञानचंद के शासनकाल में कहलूर रियासत मुगलों के अधीन आ गई । ज्ञानचंद अकबर का समकालीन राजा था । ज्ञानचंद ने सरहिन्द के मुगल वायसराय के प्रभाव में आकर इस्लाम धर्म अपना लिया था । ज्ञानचंद का मकबरा आज भी किरतपुर पंजाब में देखा जा सकता है । ज्ञानचंद के 3 बेटों में से 2 ने ( राम और भीम ) इस्लाम धर्म जबकि बीकचंद ने हिन्दू धर्म को अपनाया ।
 ( 7 ) बीकचंद ( 1600 ई . ) - बीकचंद ने 1600 ई . के आसपास नैना देवी / कोटकहलूर से अपनी राजधानी बदलकर सुनहाणी कर ली ।

 ( 8 ) कल्याण चंद ( 1630 ई . ) - कल्याण चंद ने हण्डूर रियासत की सीमा पर एक किले का निर्माण करवाया जिसके कारण दोनों रियासतों के बीच युद्ध हुआ जिसमें हण्डूर के राजा की मृत्यु हो गई ।

 ( 9 ) दीपचंद ( 1650 - 1667 ई . ) - दीपचंद ने 1654 ई . में अपनी राजधानी सुनहाणी से बदलकर व्यास गुफा के पास   व्यासपुर ( बिलासपुर ) में स्थानांतरित की । बिलासपुर शहर की स्थापना 1654 ई . में दीपचंद चंदेल ने की । दीपचंद ने धौलरा महल का निर्माण करवाया । दीपचंद ने राजा को जय देवा " , " राणा को राम - राम " , और " मियां को जय - जय " जैसे अभिवादन प्रथा शुरू करवाई । राजा दीपचंद को " नादोन " में 1667 ई . में काँगड़ा के राजा ने भोजन में विष देकर मरवा दिया ।

( 10 ) भीमचंद ( 1667 ई . से 1712 ई . ) - विलासपुर ( कहलूर ) के राजा भीमचंद लगभग 20 वर्षों   तक गुरु गोबिंद सिंह  के साथ परस्पर युद्ध में व्यस्त रहे । गुरु गोविंद सिंह ने 1682 ई . में कहलूर की यात्रा की । कहलूर का राजा 1686 ई . में भगानी के युद्ध में गुरु गोविंद से पराजित हुआ था । दोनों के बीच 1682 ई . में 1685 ई , 1686 ई . और 1700 ई . में युद्ध हुआ जिसमें हर बार भीमचंद पराजित हुआ । दोनों के बीच 1701 ई में शांति सन्धि हुई । गुरु गोविंद सिंह और भीमचंद ने 1667  में नादोन में  मुगलों की सेना को पराजित किया था । भीमचंद की 1712 ई . में मृत्यु हुई ।

 ( 11 ) अजमेरचंद ( 1712 - 41 ई . ) - अजमेरचंद ने हण्डूर की सीमा पर ' अजमेरगढ़ किला बनवाया ।

 ( 12 ) देवीचंद ( 1741 - 78 ई . ) - राजा देवीचंद ने हण्डूर रियासत के राजा मानचन्द और उसके पुत्र की मृत्यु के बाद जनता के आग्रह पर स्वयं गद्दी पर न बैठकर गजे सिंह हण्डुरिया को राजा बनाया । देवीचंद ने 1751 ई . में घमण्डचंद की युद्ध में सहायता की थी । देवीचंद नादिरशाह का समकालीन था । देवीचंद ने हण्डूर के राजा विजय सिंह को रामगढ़ दुर्ग दे दिया था । 

( 13 ) महानचंद ( 1778 - 1824 ई . ) - बिलासपुर पर सबसे लम्बी अवधि तक ( 46 वर्षो ) महानचंद ने शासन किया । बिलासपुर के राजा महानचंद के नाबालिग होने के समय रामू बजीर ने प्रशासन पर नियंत्रण रखा । रामू वजीर की 1783 ई में मृत्यु होने के बाद  1790 ई . तक 12 ठकराइयों ने स्वतंत्रता प्राप्त कर ली । संसारचंद ने 1795 ई . में बिलासपुर पर आक्रमण किया जिसमें सिरमौर के राजा धर्म प्रकाश की मृत्य हो गई । संसारचंद ने बिलासपुर के झांजियार धार पर छातीपुर किले का निर्माण करवाया । बिलासपुर के राजा महानचंद ने 1803 ई . में गोरखों से सहयोग मांगा जिसके बाद 1805 ई में गोरखों ने संसारचंद को पराजित किया । बिलासपुर 1803 ई से 1814 ई . तक गोरखों के अधीन रहा । ब्रिटिश जनरल डेविड ऑक्टरलोनी ने अमर सिंह थापा ( गोरखा कमाण्डर बिलासपुर के रतनपुर किले में पराजित किया था । बिलासपुर 6 मार्च , 1815 ई . को ब्रिटिश सरकार के अधीन आ गया । 1819 ई . में देसा सिंह मजीठिया ने बिलासपुर पर आक्रमण किया । 

( 14 ) खड़क चंद ( 1824 - 1839 ई . ) - खड़क चंद के शासनकाल को बिलासपुर रियासत के इतिहास में काला युग के नाम से जाना जाता है । खड़क चंद को गद्दी से हटा उसके चाचा जगत सिंह गद्दी पर बैठे ।

 ( 15 ) हीराचंद ( 1857 - 1882 ई . ) - हीराचंद ने 1857 ई . के विद्रोह में अंग्रेजों की सहायता की । हीराचंद के शासनकाल को बिलासपुर रियासत के इतिहास में स्वर्णकाल के नाम से जाना जाता है । मियां भंगी ,पुरंगनिया हीराचंद के समय बिलासपुर रियासत के वजीर थे । हीराचंद ने 1874 ई . में जगतखाना और स्वारघाट में टैंक का निर्माण करवाया । हीराचंद ने सर्वप्रथम बिलासपुर में भू - राजस्य सुधार किये । हीराचंद की 1882 ई . में महोली नामक स्थान पर मृत्यु हो गई । 

( 16 ) अमरचंद ( 1883 - 1888 ई . ) - असरचंद के शासन काल में बिलासपुर के गेहड़वी में झुग्गा आंदोलन हुआअमरचंद ने  1885 ई . में रियासत के अभिलेख देवनागरी लिपि में रखने व कामकाज देवनागरी लिपि में करने के आदेश पारित किये 

( 17 ) विजय चंद ( 1888 - 1928 ई . ) - विजयचंद ने बिलासपुर में रंगमहल का निर्माण करवाया । विजयचंद ने कोर्ट फीस ज्यूडीशियल स्टाम्प शुरू करने के अलावा विलासपुर शहर में पानी की सप्लाई शुरू करवाई । बहादुरपुर को उन्होंने अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया । उनके शासनकाल में ( 1903 में ) अमर सिंह वजीर थे । प्रथम विश्व युद्ध ( 1914 - 18 ) में विजयचंद ने अंग्रेजों का साथ दिया । 

( 18 ) आनंदचंद ( 1928 - 1948 ई . ) - आनंदचंद महात्मा गांधी के शिष्य थे । आनंदचंद बिलासपुर रियासत के अंतिम शासक थे । बिलासपुर को भारत में विलय का वह विरोध करते थे और स्वतंत्र अस्तित्व के पक्षधर थे । बिलासपर को 9 अक्तूबर , 1948 को ' ग ' श्रेणी का राज्य और 12 अक्तूबर , 1948 को आनंदचंद को बिलासपर का पहला मुख्य आयुक्त बनाया गया । उनके बाद 2 अप्रैल 1949 को श्रीचंद छाबड़ा बिलासपुर के दूसरे मुख्य आयुक्त बने । बिलासपुर का 1 जुलाई , 1954 को हि . प्र . में 5बे जिले के रूप में विलय कर दिया गया । राजा आनंदचंद लोकसभा में निर्विरोध चुने गए । वह 1957 ई . में हि . प्र . तथा 1964 ई . में बिहार से राज्यसभा के लिए चुने गए ।

मुझे उम्मीद है कि आपको पोस्ट पसंद आई होगी।
इस से बाहर प्रश्न नहीं आयेगा।
अपने दोस्तो के साथ भी शेयर करे। मेरी आप से request है।
ताकि उनकी भी हेल्प हो सके।

Other important topics for Govt. exam 


बिलासपुर का इतिहास क्या है? History of bilaspur himachal

हिमाचल के इतिहास फ़ोटो

   1. बिलासपुर का इतिहास क्या है?कहलूर रियासत की स्थापना कब हुए?History of bilaspur himachal

कहलूर रियासत की स्थापना - विलासपुर पास्ट एण्ड प्रजेंट , विलासपुर गजेटियर और गणेश सिंह की पुस्तक चन्द्रवंश शशिवंश विनोद से पुष्टि होती है कि कहलूर रियासत की नींव बीरचंद ने 697 ई . में रखी जवकि डॉ . हचिसन एण्डवोगल हिस्टी की पुस्तक ऑफ पंजाब हिल स्टेट के अनुसार बीरचंद ने 900 ई . में कहलूर रियासत की स्थापना की । 

वीरचंद, चंदेल बुदेलखण्ड ( मध्य प्रदेश ) चन्देरी के चंदेल राजपूत थे । बीरचन्द के पिता हरिहर चंद के पाँच पुत्र थे । बीरचंद ने सतलुज पार कर सर्वप्रथम रुहंड ठाकुरों को हराकर किला स्थापित किया जो बाद में कोट - कहलूर किला कहलाया । वीरचंद ने नैणा के आग्रह पर नैना देवी मंदिर की स्थापना कर उसके नीचे अपनी राजधानी बनाई । पौराणिक कथाओं के अनुसार नैना देवी में सती के नैन गिरे थे । राजा वीर चंद ने 12 ठकुराइयों ( बाघल , कुनिहार , बेजा , धामी , क्योंथल , कुठाड , जुब्बल , बघाट , भजी , महलोग , मागल , वलसन ) को अपने नियंत्रण में किया । 

2.बिलासपुर के राजा और उनका शासन काल क्या है? 

( 2 ) कहालचंद - कहालचंद के पुत्र अजयचंद ने हण्डूर रियासत ( नालागढ़ ) की स्थापना की ।

3. मेघचंद - मेघचन्द को उसके कठोर बर्ताव के कारण जनता ने राज्य छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया । मेघचंद ने कुल्लू रियासत में शरण ली और इल्तुतमिश की सहायता से पुनः गद्दी प्राप्त की ।

 ( 4 ) अभिसंद चंद - अभिसंद चंद सिकंदर लोदी का समकालीन था । उसने तातार खान को युद्ध में हराया था 
( 5 ) सम्पूर्ण चंद - सम्पूर्णचंद को उसके भाई रतनचंद ने मरवा दिया था । 
( 6) ज्ञानचंद ( 1570 ई ) - ज्ञानचंद के शासनकाल में कहलूर रियासत मुगलों के अधीन आ गई । ज्ञानचंद अकबर का समकालीन राजा था । ज्ञानचंद ने सरहिन्द के मुगल वायसराय के प्रभाव में आकर इस्लाम धर्म अपना लिया था । ज्ञानचंद का मकबरा आज भी किरतपुर पंजाब में देखा जा सकता है । ज्ञानचंद के 3 बेटों में से 2 ने ( राम और भीम ) इस्लाम धर्म जबकि बीकचंद ने हिन्दू धर्म को अपनाया ।
 ( 7 ) बीकचंद ( 1600 ई . ) - बीकचंद ने 1600 ई . के आसपास नैना देवी / कोटकहलूर से अपनी राजधानी बदलकर सुनहाणी कर ली ।

 ( 8 ) कल्याण चंद ( 1630 ई . ) - कल्याण चंद ने हण्डूर रियासत की सीमा पर एक किले का निर्माण करवाया जिसके कारण दोनों रियासतों के बीच युद्ध हुआ जिसमें हण्डूर के राजा की मृत्यु हो गई ।

 ( 9 ) दीपचंद ( 1650 - 1667 ई . ) - दीपचंद ने 1654 ई . में अपनी राजधानी सुनहाणी से बदलकर व्यास गुफा के पास   व्यासपुर ( बिलासपुर ) में स्थानांतरित की । बिलासपुर शहर की स्थापना 1654 ई . में दीपचंद चंदेल ने की । दीपचंद ने धौलरा महल का निर्माण करवाया । दीपचंद ने राजा को जय देवा " , " राणा को राम - राम " , और " मियां को जय - जय " जैसे अभिवादन प्रथा शुरू करवाई । राजा दीपचंद को " नादोन " में 1667 ई . में काँगड़ा के राजा ने भोजन में विष देकर मरवा दिया ।

( 10 ) भीमचंद ( 1667 ई . से 1712 ई . ) - विलासपुर ( कहलूर ) के राजा भीमचंद लगभग 20 वर्षों   तक गुरु गोबिंद सिंह  के साथ परस्पर युद्ध में व्यस्त रहे । गुरु गोविंद सिंह ने 1682 ई . में कहलूर की यात्रा की । कहलूर का राजा 1686 ई . में भगानी के युद्ध में गुरु गोविंद से पराजित हुआ था । दोनों के बीच 1682 ई . में 1685 ई , 1686 ई . और 1700 ई . में युद्ध हुआ जिसमें हर बार भीमचंद पराजित हुआ । दोनों के बीच 1701 ई में शांति सन्धि हुई । गुरु गोविंद सिंह और भीमचंद ने 1667  में नादोन में  मुगलों की सेना को पराजित किया था । भीमचंद की 1712 ई . में मृत्यु हुई ।

 ( 11 ) अजमेरचंद ( 1712 - 41 ई . ) - अजमेरचंद ने हण्डूर की सीमा पर ' अजमेरगढ़ किला बनवाया ।

 ( 12 ) देवीचंद ( 1741 - 78 ई . ) - राजा देवीचंद ने हण्डूर रियासत के राजा मानचन्द और उसके पुत्र की मृत्यु के बाद जनता के आग्रह पर स्वयं गद्दी पर न बैठकर गजे सिंह हण्डुरिया को राजा बनाया । देवीचंद ने 1751 ई . में घमण्डचंद की युद्ध में सहायता की थी । देवीचंद नादिरशाह का समकालीन था । देवीचंद ने हण्डूर के राजा विजय सिंह को रामगढ़ दुर्ग दे दिया था । 

( 13 ) महानचंद ( 1778 - 1824 ई . ) - बिलासपुर पर सबसे लम्बी अवधि तक ( 46 वर्षो ) महानचंद ने शासन किया । बिलासपुर के राजा महानचंद के नाबालिग होने के समय रामू बजीर ने प्रशासन पर नियंत्रण रखा । रामू वजीर की 1783 ई में मृत्यु होने के बाद  1790 ई . तक 12 ठकराइयों ने स्वतंत्रता प्राप्त कर ली । संसारचंद ने 1795 ई . में बिलासपुर पर आक्रमण किया जिसमें सिरमौर के राजा धर्म प्रकाश की मृत्य हो गई । संसारचंद ने बिलासपुर के झांजियार धार पर छातीपुर किले का निर्माण करवाया । बिलासपुर के राजा महानचंद ने 1803 ई . में गोरखों से सहयोग मांगा जिसके बाद 1805 ई में गोरखों ने संसारचंद को पराजित किया । बिलासपुर 1803 ई से 1814 ई . तक गोरखों के अधीन रहा । ब्रिटिश जनरल डेविड ऑक्टरलोनी ने अमर सिंह थापा ( गोरखा कमाण्डर बिलासपुर के रतनपुर किले में पराजित किया था । बिलासपुर 6 मार्च , 1815 ई . को ब्रिटिश सरकार के अधीन आ गया । 1819 ई . में देसा सिंह मजीठिया ने बिलासपुर पर आक्रमण किया । 

( 14 ) खड़क चंद ( 1824 - 1839 ई . ) - खड़क चंद के शासनकाल को बिलासपुर रियासत के इतिहास में काला युग के नाम से जाना जाता है । खड़क चंद को गद्दी से हटा उसके चाचा जगत सिंह गद्दी पर बैठे ।

 ( 15 ) हीराचंद ( 1857 - 1882 ई . ) - हीराचंद ने 1857 ई . के विद्रोह में अंग्रेजों की सहायता की । हीराचंद के शासनकाल को बिलासपुर रियासत के इतिहास में स्वर्णकाल के नाम से जाना जाता है । मियां भंगी ,पुरंगनिया हीराचंद के समय बिलासपुर रियासत के वजीर थे । हीराचंद ने 1874 ई . में जगतखाना और स्वारघाट में टैंक का निर्माण करवाया । हीराचंद ने सर्वप्रथम बिलासपुर में भू - राजस्य सुधार किये । हीराचंद की 1882 ई . में महोली नामक स्थान पर मृत्यु हो गई । 

( 16 ) अमरचंद ( 1883 - 1888 ई . ) - असरचंद के शासन काल में बिलासपुर के गेहड़वी में झुग्गा आंदोलन हुआअमरचंद ने  1885 ई . में रियासत के अभिलेख देवनागरी लिपि में रखने व कामकाज देवनागरी लिपि में करने के आदेश पारित किये 

( 17 ) विजय चंद ( 1888 - 1928 ई . ) - विजयचंद ने बिलासपुर में रंगमहल का निर्माण करवाया । विजयचंद ने कोर्ट फीस ज्यूडीशियल स्टाम्प शुरू करने के अलावा विलासपुर शहर में पानी की सप्लाई शुरू करवाई । बहादुरपुर को उन्होंने अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया । उनके शासनकाल में ( 1903 में ) अमर सिंह वजीर थे । प्रथम विश्व युद्ध ( 1914 - 18 ) में विजयचंद ने अंग्रेजों का साथ दिया । 

( 18 ) आनंदचंद ( 1928 - 1948 ई . ) - आनंदचंद महात्मा गांधी के शिष्य थे । आनंदचंद बिलासपुर रियासत के अंतिम शासक थे । बिलासपुर को भारत में विलय का वह विरोध करते थे और स्वतंत्र अस्तित्व के पक्षधर थे । बिलासपर को 9 अक्तूबर , 1948 को ' ग ' श्रेणी का राज्य और 12 अक्तूबर , 1948 को आनंदचंद को बिलासपर का पहला मुख्य आयुक्त बनाया गया । उनके बाद 2 अप्रैल 1949 को श्रीचंद छाबड़ा बिलासपुर के दूसरे मुख्य आयुक्त बने । बिलासपुर का 1 जुलाई , 1954 को हि . प्र . में 5बे जिले के रूप में विलय कर दिया गया । राजा आनंदचंद लोकसभा में निर्विरोध चुने गए । वह 1957 ई . में हि . प्र . तथा 1964 ई . में बिहार से राज्यसभा के लिए चुने गए ।

मुझे उम्मीद है कि आपको पोस्ट पसंद आई होगी।
इस से बाहर प्रश्न नहीं आयेगा।
अपने दोस्तो के साथ भी शेयर करे। मेरी आप से request है।
ताकि उनकी भी हेल्प हो सके।

Other important topics for Govt. exam 


one student one laptop scheme in 2024