लाहौल स्पीति का इतिहास History of lahul spiti
1.प्राचीन इतिहास - मनु को इस क्षेत्र का प्राचीन शासक बताया गया है । महाभारत युद्ध में भी इस क्षेत्र के लोगों ने भाग लिया था । कनिष्क ( कुषाण वंश ) के समय यह क्षेत्र उनके कब्जे में था । जास्कर क्षेत्र में कनिष्क का एक स्तूप प्राप्त हुआ है । गुप्त काल के बाद हर्षवर्द्धन ( 606 - 664 ई . ) के समय लाहौल का संबंध हर्ष के साम्राज्य से पुनः जुड़ गया । हेनसांग ने 635 ई . में कुल्लू और लाहौल की यात्रा की थी । 600 ई . के आसपास चम्बा ने लाहौल पर विजय प्राप्त की थी । लाहौल पर हर्ष के समय कुल्लू और चम्बा का कब्जा रहा जो स्वयं हर्ष के अधीन थे । जिससे लाहौल भी हर्ष के अधीन आ गया । ह्वेनसांग के अनुसार स्पीति पर सेन राजाओं का राज था जिसका पहला राजा समुद्रसेन था ।
स्पीति के राजा राजेन्द्र सेन ने कुछ समय तक कुल्लू को अपने अधीन किया । छेतसेन के समय ( सातवीं सदी ) स्पीति लद्दाख के अधीन आ गया । स्पीति के शासकों को ' नोनो ' कहा जाता था । "
. लाहौल स्पीति का मध्यकालीन इतिहास medieval history of lahul spiti
* लाहौल पर लद्दाख के राजा ला - चन - उत्पल ( 1080 - 1110 ई . ) का शासन तब से रहा जबसे उसने कुल्लू पर आक्रमण कर उसे गाय और याक के मिश्रण ' जो ' देने के लिए मजबूर किया ।
* कश्मीर के राजा जैन - उल - बद्दीन ( 1420 - 1470 ई . ) के तिब्बत आक्रमण के समय कुल्लू और लाहौल लद्दाख ( तिब्बत ) के अधीन थे ।
* कुल्लू के राजा बहादुरशाह ( 1532 - 1559 ई . ) के समय लाहौल कुल्लू का भाग बन गया था । वर्ष 1631 ई . में भी लाहौल कुल्लू का भाग था ।
• चम्बा के राजाओं ने भी लाहौल के अधिकतर भाग पर अधिकार किया था । उदयपुर का मुकुला देवी मंदिर चम्बा के राजा प्रताप सिंह वर्मन द्वारा बनवाया गया था ।
* कुल्लू के राजा जगत सिंह ( 1637 - 1672 ई . ) के समय लाहौल कुल्लू का भाग था । वर्ष 1681 ई . में मंगोलों ने लाहौल पर आक्रमण किया था क्योंकि यहाँ के लामा ' डुगपा मत ' के मानने वाले थे ।
* मुगलों की मदद से कल्लू के राजा विधि सिंह ( 1672 - 88 ई . ) ने लाहौल के ऊपरी क्षेत्रों पर कब्जा किया था । विधि सिंह के समय से थिरोट कुल्लू और चम्बा के बीच की सीमा का निर्धारण करता था ।
*तिब्बत - लद्दाखी मुगल युद्ध ( 1681 - 83 ) में स्पीति काफी हद तक कुल्लू और लद्दाख से स्वतंत्र था । कुल्लू के राजा मानसिंह ( 1690 - 1720 ई . ) ने गोंदला किला बनवाया था ।
लाहौल स्पीति का आधुनिक इतिहास (Mordern history of lahul spiti)
सिख- 1840 ई . में लाहौल सिखों के कब्जे में आ गया । कनिंघम ने 1839 ई . में लाहौल की यात्रा की । सिखों के सेनापति जरावर सिंह ने 1834 - 35 ई . में लद्दाख / जास्कर और स्पीति पर आक्रमण किया । .
* 1846 ई . में अमृतसर संधि ( अंग्रेजों और गुलाब सिंह ) के बाद ' स्पीति ' अंग्रेजों के अधीन आ गया ।
• चम्बा लाहौल और ब्रिटिश लाहौल का विलय 1975 ई . में हुआ ।
• अंग्रेजों ने बलिराम को लाहौल का पहला नेगी बनाया।
• 1857 ई . के विद्रोह के समय स्पीति के ' नोनो वजीर ' ने अंग्रेजों की मदद की थी । प्रथम विश्वयुद्ध के समय अंग्रेजों ने लाहौल के वजीर अमीरचंद को ' रायबहादुर ' ( 1917 ई . ) की उपाधि प्रदान की ।
• 1941 ई . को लाहौल - स्पीति उपतहसील बनी और उसका मुख्यालय केलांग बनाया गया । पंजाब सरकार ने लाहौल स्पीति को 1960 में जिला बनाया । वर्ष 1966 ई . में लाहौल स्पीति का विलय हिमाचल प्रदेश में हो गया ।
लाहुल स्पीति ( Lahul spiti Fair and gompa)
2.धर्म- लहोल में हिन्दू और बौद्ध धर्म दोनों को मानने वाले लोग हैं । गेफांग , डाबला और तंग्यूर यहाँ के प्रमख देवता हैं । स्पीति में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग हैं ।
3. विवाह - लाहौल में तभाग्स्टन / मोथेबियाह व्यवस्थित / तय विवाह है । कुनमाईभाग्स्टन / कौन्ची विवाह 😵😓😁 भाग कर किया गया विवाह है ।
लाहुल- स्पीति के त्योहार / उत्सव क्या है? Lahul - Spiti Festivals
सिस्सु मेला - यह मेला जून में शांशुर गोम्पा , जुलाई में गेमूर गोम्पा और अगस्त में गोंदला के मनी गोम्पा में लगता है ।
फागली मेला - फागली या कुन मेला फरवरी की अमावस्या को पट्टन घाटी में लगता है । यह फाल्गुन के आने का संकेत देता है ।
मुझे उम्मीद है कि आपको जानकारी अच्छी लगी होगी।
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