History of chamba himachal

चम्बा का इतिहास history of chamba in hindi


 ( चम्बा का इतिहास - चम्बा (chamba history)  की पहाड़ियों में मद्र - साल्व , यौधेय , जोदुम्बर और किरातों ने अपने राज्य स्थापित किये । कुषाणों के अधीन भी चम्बा रहा था ।

1. चम्बा रियासत की स्थापना कब और किसने की थी? 
1 . चम्बा रियासत की स्थापना - चम्बा रियासत की स्थापना 550 ई0 में अयोध्या से आए सूर्यवंशी राजा मारु  ने की थी। मारु नेे भरमौर ( ब्रह्मपुर ) को अपनी राजधानी बनाया । आदित्यवर्मन ( 620 ई . )  सर्वप्रथम वर्मन उपाधि धारण की थी।

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  2.   चम्बा के राजा ,(king of chamba distric)

 2 . मेरूवर्मन ( 680 ई . ) - मेरुवर्मन भरमौर का सबसे शक्तिशाली राजा हुआ । मेरूवर्मन ने वर्तमान चम्बा शहर तक अपने राजय का विस्तार किया था । उसने कल्लू के राजा दतेश्वर पाल को हराया था । मरूवमन ने   भरमोर में मणिमेहश मंदिर , लक्षणआ, गणेश मंदिर , नरसिंह मंदिर और छत्तराड़ी में शक्तिदेवी के मंदिर का निर्माण करवाया । गुगा शिल्पी मेरूवर्मन का प्रसिद्ध शिल्पी था।


 3 . लक्ष्मीवर्मन ( 800 ई . ) - लक्ष्मीवर्मन के कार्यकाल में महामारी से ज्यादातर लोग मर गए । तिब्बतियों 
( किरात ) ने चम्बा के अधिकतर क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया । लक्ष्मीवर्मन की मृत्यु के बाद कुल्लू रियासत ) बुशहर के राजा की सहायता से चम्बा तंत्र


4. मुसानवर्मन ( 820 ई . ) - लक्ष्मीवर्मन की मृत्यु के बाद रानी ने राज्य से भागकर एक गुफा में पुत्र को जन्म दिया ।पुत्र को  गुफा में छोड़कर रानी आगे बढ़ गई । परन्तु बजीर और पुरोहित रानी की सच्चाई जानने के बाद जब गुफा में लौटे तो बहूत सारे चहों को बच्चे की रक्षा करते हुए पाया । यहीं से राजा का नाम ' मूसान वर्मन रखा गया । रानी और मूसानवर्मन सुकेत के राजा के पास रहे । सुकेत के राजा ने अपनी बेटी का विवाह मूसानवर्मन से कर दिया और उसे पंगाणा की जागीर दहेज में दे दी । मूसान वर्मन ने सुकेत की सेना के साथ ब्रह्मपुर पर पुनः अधिकार कर लिया । मूसानवर्मन ने अपने शासनकाल में चूहों को मारने पर प्रतिबंध लगा दिया था ।


 5 . साहिलवर्मन ( 920 ई . ) - साहिलवर्मन ( 920 ई . ) ने चम्बा शहर की स्थापना की । राजा साहिल वर्मन के दस पुत्र एवं एक पुत्री थी जिसका नाम चम्पावती था । उसने चम्बा शहर का नाम अपनी पुत्री चम्पावती के नाम पर रखा । वह राजधानी ब्रह्मपुर से चम्बा ले गया । साहिलवर्मन की पत्नी रानी नैना देवी ने शहर में पानी की व्यवस्था के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया । तब से रानी नैना देवी की याद में यहां प्रतिवर्ष सूही मेला मनाया जाता है । यह मेला महिलाओं और बच्चों के लिए प्रसिद्ध है । राजा साहिलवर्मन ने लक्ष्मी नारायण , चन्द्रशेखर ( साह ) चन्द्रगुप्त और कामेश्वर मंदिर का निर्माण भी करवाया ।


6 . युगांकर वर्मन ( 940 ई . ) - युगांकर वर्मन
 ( 940 ई . ) की पली त्रिभुवन रेखा देवी ने भरमौर में नरसिंह मंदिर का निर्माण करवाया । युगांकर वर्मन ने चम्बा में गौरी शंकर मंदिर का निर्माण करवाया ।


7 . सलवाहन वर्मन ( 1040 ई . ) - राजतरंगिणी के अनुसार कश्मीर के शासक अनन्तदेव ने भरमौर पर सलवाहन वर्मन के समय में आक्रमण किया था । सलवाहन वर्मन के कार्यकाल के शिलालेख मिले हैं जिससे तिस्सा परगना और सेइकोठी का उस समय बलार ( बसोली ) राज्य में होने का पता चलता है ।


 8. जसाटा वर्मन ( 1105 ई . ) - जसाटा वर्मन ने कश्मीर के राजा सुशाला के विरुद्ध अपने रिश्तेदार हर्ष और उसके पोते का समर्थन किया था । जसाटावर्मन के समय का शिलालेख चुराह के लोहटिकरी में मिला है ।


 9. उदयवर्मन :- ( 1120 ई . ) - उदयवर्मन ) ने कश्मीर के राजा सुशाला से अपनी दो पुत्रियों देवलेखा और तारालेखा का विवाह किया मशाला की 1128 ई . में मृत्यु के बाद सती हो गई ।
10.   ललितवर्मन ( 1143 ई . ) - ललित वर्मन के कार्यकाल के दो पत्थर लेख डिबरी कोठी और सैचुनाला ( पांगी ) में प्राप्त हुुए पता चलता है कि तिस्सा और पांगी क्षेत्र उसके कार्यकाल में चम्बा रियासत के भाग थे


11. विजयवर्मन ( 1175 ई . ) - विजय वर्मन ने मुहम्मद गोरी के 1191 ई . और 1192 ई . के आक्रमणों का फायदा उठाकर  कश्मीर और लद्दाख के बहुत से क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था ।


12 . गणेश वर्मन ( 1512 ई . ) - गणेश वर्मन ने चम्बा राज परिवार में सर्वप्रथम ' सिंह ' उपाधि का प्रयोग किया था ।


 13 . प्रताप सिंह वर्मन ( 1559 ई . ) - 1559 ई . में गणेश वर्मन की मृत्यु के बाद प्रतापसिंह वर्मन चम्बा का राजा बना । वह अकबर का समकालीन था । चम्बा से रिहलू क्षेत्र टोडरमल द्वारा मुगलों को दिया गया । प्रताप सिंह वर्मन ने काँगड़ा के राजा चंद्रपाल को हराकर गुलेर को चम्बा रियासत में मिला लिया था ।


14 . बलभद्र ( 1589 ई . ) एवं जनार्धन - बलभद्र बहुत दयालु और दानवीर था । लोग उसे ' बाली - कर्ण ' कहते थे । उसका पुत्र जनार्धन उन्हें गद्दी से हटाकर स्वयं गद्दी पर बैठा । जनार्धन के समय नूरपुर का राजा सूरजमल मुगलों से बचकर उसकी रियासत में छुपा था । सूरजमल के भाई जगत सिंह को मुगलों द्वारा काँगड़ा किले का रक्षक बनाया गया जो सूरजमल के बाद नूरपूर का राजा बना । जहाँगीर के 1622 ई . में कांगड़ा भ्रमण के दौरान चम्बा का राजा जनार्धन और उसका भाई जहांगीर से मिलने गए । चम्बा के राजा जनाधन और जगतसिंह के बीच धलोग में युद्ध हुआ जिसमें चम्बा की सेना की हार हुई । भिस्सबर , जनार्धन का भाई युद्ध में मारा गया । जनार्धन को भी 1623 ई . में जगत सिंह ने धोखे से मरवा दिया । बलभद्र को चम्बा का पुनः राजा बनाया गया । परन्तु ( चम्बा 20 वर्षों तक जगतसिंह के कब्जे में रहा जगत सिंह ने बलभद्र के पत्र होने की स्थिति में उसकी हत्या करने का आदेश दिया था । बलभद्र को पृथ्वी सिंह नाम का पुत्र हुआ जिसको नर्स ( दाई ) वाटलू बेचाकर मण्डी राजघराने तक पहुंच गई ।


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.3. चम्बा  में सिंह वंश  (kings of chamba)

15 . पृथ्वी सिंह ( 1641 ई . ) - जगत सिंह ने शाहजहां के विरुद्ध 1641 ई . में विद्रोह कर दिया । इस मौके का फायदा उठाते हुए पृथ्वी सिंह ने मण्डी और सुकेत की मदद से रोहतांग दर्रे , पांगी , चुराह को पार कर चम्बा पहुँचा । गुलेर के राजा मानसिंह जो जगत सिंह का शत्रु था उसने भी पृथ्वी सिंह की मदद की । पृथ्वी सिंह ने बसौली के राजा संग्राम पाल को भलेई तहसील देकर उससे गठबंधन किया । पृथ्वीसिंह ने अपना राज्य पाने के बाद चुराह और पांगी में राज अधिकारियों के लिए कोठी बनाई । पृथ्वी सिंह और संग्राम पाल के बीच भलेई तहसील को लेकर विवाद हुआ जिसे मुगलों ने सुलझाया । भलेई को 1648 ई . में चम्बा को दे दिया गया । पृथ्वी सिंह मुगल बादशाह शाहजहाँ का समकालीन था । उसने शाहजहाँ के शासनकाल में 9 बार दिल्ली की यात्रा की और रघुबीर ' की प्रतिमा शाहजहां द्वारा भेट में प्राप्त की । चम्बा में खज्जीनाग ( खजियार ) , हिडिम्बा मंदिर ( मैहला ) और सीताराम मंदिर ( चम्बा ) का निर्माण पृथ्वी सिंह की नर्स
 ( दाई ) बाटलू ने करवाया जिसने पृथ्वी सिंह के प्राणों की रक्षा की थी ।

 16 . चतर सिंह ( 1664 ई . ) - चतर सिंह ने बसौली पर आक्रमण कर भलेई पर कब्जा किया था । चतर सिंह औरंगजेब का समकालीन था । उसने 1678 ई . में औरंगजेब का सभी हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने का आदेश मानने से इन्कार कर दिया था । 

17 . उदय सिंह ( 1690 ई . ) - चतर सिंह के पुत्र राजा उदय सिंह ने अपने चाचा वजीर जय सिंह की मृत्यु के बाद एक नाई को उसकी पुत्री के प्रेम में पड़कर चम्बा का वजीर नियुक्त कर दिया ।

18 . उम्मेद सिंह ( 1748 ) - उम्मेद सिंह के शासन काल में चम्बा राज्य मण्डी की सीमा तक फैल गया । उम्मेद सिंह का पुुत्र राज सिंह राजनगर में पैदा  हुआ। उम्मेद सिंह ने राजनगर में ' नाडा महल ' बनवाया । रंगमहल
( चम्बा ) की नींव भी उम्मेद सिंह ने रखी थी । उसने अपनी मृत्यु के बाद रानी के सती न होने का आदेश छोड़ रखा था । उम्मेद सिंह की 1764 ई . में मृत्यु हो गई थी ।

19 . राज सिंह ( 1764 ई . ) - राज सिंह अपने पिता की मृत्यु के बाद 9 वर्ष की आयु में राजा बना । घमण्ड चंद ने पथियार को चम्बा से छीन लिया । परन्त रानी ने जम्मू के रणजीत सिंह की मदद से इसे पुनः प्राप्त कर लिया । चम्बा के राजा राजसिंह और कागड़ा के राजा संसारचंद के बीच रिहल क्षेत्र पर कब्जे के लिए युद्ध हुआ । राजा राज सिंह की शाहपुर के पास 1794 ई . में युद्ध कदारान मृत्यु हो गई । निक्का , रांझा , छज्जू और हरकू राजसिंह के दरबार के निपुण कलाकार थे ।

 20 . जीत सिंह ( 1794 ई . ) - जीत सिंह के समय चम्बा राज्य ने नाथू बजीर को संसारचंद के खिलाफ युद्ध में सैनिकों के साथ भजा । नाथू बजीर गोरखा अमर सिंह थापा , बिलासपुर के महानचंद आदि के अधीन युद्ध लड़ने गया था ।

 21 , चरहट सिंह ( 1808 ई . ) - चरहट सिंह 6 वर्ष की आयु में राजा बना । नाथू वजीर राजकाज देखता था । रानी शारदा ( चरहट सह की माँ ) ने 1825 ई . में राधा कृष्ण मंदिर की स्थापना की । पद्दर के राज अधिकारी रतनू ने 1820 - 25 ई . में जास्कर पर आक्रमण कर उसे चम्बा का भाग बनाया था। 1838 ई . में नाथू बजीर की मृत्यु के बाद ' बजार भागा ' चम्बा का वजीर नियुक्त कि 1839 ई . में बिग्ने और जनरल कनिंघम ने चम्बा की यात्रा की । चरहट सिंह की 42 वर्ष की आयु में 1844 ई . में मृत्यु हो गई।

22 . श्री सिंह ( 1844 ई . ) - श्री सिंह 5 वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठा । लक्कड़शाह ब्राह्मण श्री सिंह के समय नियंत्रण रखे हुए था जिसकी बैलज में हत्या कर दी गई । अंग्रेजों ने 1846 ई . को जम्मू के राजा गुलाब सिंह को चम्बा दे दिया। परंतु बजीर भागा के प्रयासों से सर हैनरीलारेंस ने चम्बा की वर्तमान स्थिति रहने दी । भद्रवाह को हमेशा के लिए चम्बा से लेकर जामू दे दिया गया । श्रीसिंह के समय चम्बा  1846 ई . में अंग्रेजों के अधीन आ गया । श्री सिंह को 6 अप्रैल , 1848 को सनद प्रदान श्री सिंह 1857 ई . के विद्रोह के समय अंग्रेजों के प्रति समर्पित रहा । उसने मिया अवतार सिंह के अधीन डलहौजी की सहायता के लिए सेना भेजी । बजीर भागा 1854 ई . में सेवानिवृत्त हो गया और उसका स्थान वजीर बिल्लू ने ले लिया। ब्लयर रीड 1863 ई . में चम्बा के सुपरिन्टेन्डेन्ट बने । 1863 ई . में डाकघर खोला गया । चम्बा को अंग्रेजों को 903 लीज पर दे दिया गया । श्री सिंह की 1870 ई . में मृत्यु हो गई ।

 23 . गोपाल सिंह ( 1870 ई . ) - श्री सिंह का भाई गोपाल सिंह गद्दी पर बैठा । उसने शहर की सुंदरता बढ़ाने के लिए कई किए । उसके कार्यकाल में 1871 ई . में लाई मायो चम्बा आए । गोपाल सिंह को गद्दी से हटा 1873 ई . में उसके बड़े बेटे शाम को राजा बनाया गया । 

24 . शाम सिंह ( 1873 ई . ) - शाम सिंह को 7 वर्ष की आयु में जनरल रेनल टेलर द्वारा राजा बनाया गया और मियां अवतार सिंह को बजीर बनाया गया । सर हेनरी डेविस ने 1874 ई . में चम्बा की यात्रा की । शाम सिंह ने 1875 ई . और 1877 ई . के दिल्ली दरबार में भाग लिया । वर्ष 1878 ई . में जान हैरी को शाम सिंह का शिक्षक नियुक्त किया गया । चम्बा के महल में दरबार हॉल की C . HT . मार्शल के नाम पर जोड़ा गया । वर्ष 1880 ई . में चम्बा में हाप्स की खेती शुरू हुई । सर चार्ल्स एटिक्सन ने 1883 ई . में चम्बा की यात्रा की । 
1875 ई . में कर्नल रीड के अस्पताल को तोड़कर 1891 ई . में 40 बिस्तरों का शाम सिंह अस्पताल बनाया गया  । रावी नदी पर शीतला पुल जो 1894 ई . की बाढ़ में टूट गया था की जगह लोहे का सस्पेंशन पुल बनाया गया । 1895 ई . में भटियात में विद्रोह हुआ । शाम सिंह के छोटे भाई मियां भूरी सिंह को 1898 ई . में वजीर बनाया गया । वर्ष 1900 ई . में लाई कर्जन और उनकी पली चम्बा की यात्रा पर आए । 1902 ई . में शाम सिंह बीमार पड़ गए । वर्ष 1904 ई . में भूरी सिंह को चम्बा का राजा बनाया गया ।

25 . राजा भूरी सिंह ( 1904 ई . ) - राजा भूरी सिंह को 1 जनवरी , 1906 . को नाईटहुड की उपाधि प्रदान की गई । भूरी सिंह संग्रहालय की स्थापना 1908 ई . में की गई । राजा भूरी सिंह ने प्रथम विश्व युद्ध ( 1914 - 18 ) में अंग्रेजों की सहायता की । साल नदी पर 1910 ई . में एक बिजलीघर का निर्माण किया गया जिससे चम्बा शहर को बिजली प्रदान की गई । राजा भूरी सिंह की 1919 इ . में मृत्यु हो गई । राजा भूरी सिंह की मृत्यु के बाद टिक्काराम सिंह ( 1919 - 1935 ) चम्बा का राजा बना ।

26 . राजा लक्ष्मण सिंह - राजा लक्ष्मण सिंह को 1935 ई . में चम्बा का अंतिम राजा बनाया गया । चम्बा रियासत 15 अप्रैल , 1948 ई . को हिमाचल  का हिस्सा बन गई ।

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HP GK :चम्बा का इतिहास (History of chamba)

                   History of chamba himachal

चम्बा का इतिहास history of chamba in hindi


 ( चम्बा का इतिहास - चम्बा (chamba history)  की पहाड़ियों में मद्र - साल्व , यौधेय , जोदुम्बर और किरातों ने अपने राज्य स्थापित किये । कुषाणों के अधीन भी चम्बा रहा था ।

1. चम्बा रियासत की स्थापना कब और किसने की थी? 
1 . चम्बा रियासत की स्थापना - चम्बा रियासत की स्थापना 550 ई0 में अयोध्या से आए सूर्यवंशी राजा मारु  ने की थी। मारु नेे भरमौर ( ब्रह्मपुर ) को अपनी राजधानी बनाया । आदित्यवर्मन ( 620 ई . )  सर्वप्रथम वर्मन उपाधि धारण की थी।

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  2.   चम्बा के राजा ,(king of chamba distric)

 2 . मेरूवर्मन ( 680 ई . ) - मेरुवर्मन भरमौर का सबसे शक्तिशाली राजा हुआ । मेरूवर्मन ने वर्तमान चम्बा शहर तक अपने राजय का विस्तार किया था । उसने कल्लू के राजा दतेश्वर पाल को हराया था । मरूवमन ने   भरमोर में मणिमेहश मंदिर , लक्षणआ, गणेश मंदिर , नरसिंह मंदिर और छत्तराड़ी में शक्तिदेवी के मंदिर का निर्माण करवाया । गुगा शिल्पी मेरूवर्मन का प्रसिद्ध शिल्पी था।


 3 . लक्ष्मीवर्मन ( 800 ई . ) - लक्ष्मीवर्मन के कार्यकाल में महामारी से ज्यादातर लोग मर गए । तिब्बतियों 
( किरात ) ने चम्बा के अधिकतर क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया । लक्ष्मीवर्मन की मृत्यु के बाद कुल्लू रियासत ) बुशहर के राजा की सहायता से चम्बा तंत्र


4. मुसानवर्मन ( 820 ई . ) - लक्ष्मीवर्मन की मृत्यु के बाद रानी ने राज्य से भागकर एक गुफा में पुत्र को जन्म दिया ।पुत्र को  गुफा में छोड़कर रानी आगे बढ़ गई । परन्तु बजीर और पुरोहित रानी की सच्चाई जानने के बाद जब गुफा में लौटे तो बहूत सारे चहों को बच्चे की रक्षा करते हुए पाया । यहीं से राजा का नाम ' मूसान वर्मन रखा गया । रानी और मूसानवर्मन सुकेत के राजा के पास रहे । सुकेत के राजा ने अपनी बेटी का विवाह मूसानवर्मन से कर दिया और उसे पंगाणा की जागीर दहेज में दे दी । मूसान वर्मन ने सुकेत की सेना के साथ ब्रह्मपुर पर पुनः अधिकार कर लिया । मूसानवर्मन ने अपने शासनकाल में चूहों को मारने पर प्रतिबंध लगा दिया था ।


 5 . साहिलवर्मन ( 920 ई . ) - साहिलवर्मन ( 920 ई . ) ने चम्बा शहर की स्थापना की । राजा साहिल वर्मन के दस पुत्र एवं एक पुत्री थी जिसका नाम चम्पावती था । उसने चम्बा शहर का नाम अपनी पुत्री चम्पावती के नाम पर रखा । वह राजधानी ब्रह्मपुर से चम्बा ले गया । साहिलवर्मन की पत्नी रानी नैना देवी ने शहर में पानी की व्यवस्था के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया । तब से रानी नैना देवी की याद में यहां प्रतिवर्ष सूही मेला मनाया जाता है । यह मेला महिलाओं और बच्चों के लिए प्रसिद्ध है । राजा साहिलवर्मन ने लक्ष्मी नारायण , चन्द्रशेखर ( साह ) चन्द्रगुप्त और कामेश्वर मंदिर का निर्माण भी करवाया ।


6 . युगांकर वर्मन ( 940 ई . ) - युगांकर वर्मन
 ( 940 ई . ) की पली त्रिभुवन रेखा देवी ने भरमौर में नरसिंह मंदिर का निर्माण करवाया । युगांकर वर्मन ने चम्बा में गौरी शंकर मंदिर का निर्माण करवाया ।


7 . सलवाहन वर्मन ( 1040 ई . ) - राजतरंगिणी के अनुसार कश्मीर के शासक अनन्तदेव ने भरमौर पर सलवाहन वर्मन के समय में आक्रमण किया था । सलवाहन वर्मन के कार्यकाल के शिलालेख मिले हैं जिससे तिस्सा परगना और सेइकोठी का उस समय बलार ( बसोली ) राज्य में होने का पता चलता है ।


 8. जसाटा वर्मन ( 1105 ई . ) - जसाटा वर्मन ने कश्मीर के राजा सुशाला के विरुद्ध अपने रिश्तेदार हर्ष और उसके पोते का समर्थन किया था । जसाटावर्मन के समय का शिलालेख चुराह के लोहटिकरी में मिला है ।


 9. उदयवर्मन :- ( 1120 ई . ) - उदयवर्मन ) ने कश्मीर के राजा सुशाला से अपनी दो पुत्रियों देवलेखा और तारालेखा का विवाह किया मशाला की 1128 ई . में मृत्यु के बाद सती हो गई ।
10.   ललितवर्मन ( 1143 ई . ) - ललित वर्मन के कार्यकाल के दो पत्थर लेख डिबरी कोठी और सैचुनाला ( पांगी ) में प्राप्त हुुए पता चलता है कि तिस्सा और पांगी क्षेत्र उसके कार्यकाल में चम्बा रियासत के भाग थे


11. विजयवर्मन ( 1175 ई . ) - विजय वर्मन ने मुहम्मद गोरी के 1191 ई . और 1192 ई . के आक्रमणों का फायदा उठाकर  कश्मीर और लद्दाख के बहुत से क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था ।


12 . गणेश वर्मन ( 1512 ई . ) - गणेश वर्मन ने चम्बा राज परिवार में सर्वप्रथम ' सिंह ' उपाधि का प्रयोग किया था ।


 13 . प्रताप सिंह वर्मन ( 1559 ई . ) - 1559 ई . में गणेश वर्मन की मृत्यु के बाद प्रतापसिंह वर्मन चम्बा का राजा बना । वह अकबर का समकालीन था । चम्बा से रिहलू क्षेत्र टोडरमल द्वारा मुगलों को दिया गया । प्रताप सिंह वर्मन ने काँगड़ा के राजा चंद्रपाल को हराकर गुलेर को चम्बा रियासत में मिला लिया था ।


14 . बलभद्र ( 1589 ई . ) एवं जनार्धन - बलभद्र बहुत दयालु और दानवीर था । लोग उसे ' बाली - कर्ण ' कहते थे । उसका पुत्र जनार्धन उन्हें गद्दी से हटाकर स्वयं गद्दी पर बैठा । जनार्धन के समय नूरपुर का राजा सूरजमल मुगलों से बचकर उसकी रियासत में छुपा था । सूरजमल के भाई जगत सिंह को मुगलों द्वारा काँगड़ा किले का रक्षक बनाया गया जो सूरजमल के बाद नूरपूर का राजा बना । जहाँगीर के 1622 ई . में कांगड़ा भ्रमण के दौरान चम्बा का राजा जनार्धन और उसका भाई जहांगीर से मिलने गए । चम्बा के राजा जनाधन और जगतसिंह के बीच धलोग में युद्ध हुआ जिसमें चम्बा की सेना की हार हुई । भिस्सबर , जनार्धन का भाई युद्ध में मारा गया । जनार्धन को भी 1623 ई . में जगत सिंह ने धोखे से मरवा दिया । बलभद्र को चम्बा का पुनः राजा बनाया गया । परन्तु ( चम्बा 20 वर्षों तक जगतसिंह के कब्जे में रहा जगत सिंह ने बलभद्र के पत्र होने की स्थिति में उसकी हत्या करने का आदेश दिया था । बलभद्र को पृथ्वी सिंह नाम का पुत्र हुआ जिसको नर्स ( दाई ) वाटलू बेचाकर मण्डी राजघराने तक पहुंच गई ।


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.3. चम्बा  में सिंह वंश  (kings of chamba)

15 . पृथ्वी सिंह ( 1641 ई . ) - जगत सिंह ने शाहजहां के विरुद्ध 1641 ई . में विद्रोह कर दिया । इस मौके का फायदा उठाते हुए पृथ्वी सिंह ने मण्डी और सुकेत की मदद से रोहतांग दर्रे , पांगी , चुराह को पार कर चम्बा पहुँचा । गुलेर के राजा मानसिंह जो जगत सिंह का शत्रु था उसने भी पृथ्वी सिंह की मदद की । पृथ्वी सिंह ने बसौली के राजा संग्राम पाल को भलेई तहसील देकर उससे गठबंधन किया । पृथ्वीसिंह ने अपना राज्य पाने के बाद चुराह और पांगी में राज अधिकारियों के लिए कोठी बनाई । पृथ्वी सिंह और संग्राम पाल के बीच भलेई तहसील को लेकर विवाद हुआ जिसे मुगलों ने सुलझाया । भलेई को 1648 ई . में चम्बा को दे दिया गया । पृथ्वी सिंह मुगल बादशाह शाहजहाँ का समकालीन था । उसने शाहजहाँ के शासनकाल में 9 बार दिल्ली की यात्रा की और रघुबीर ' की प्रतिमा शाहजहां द्वारा भेट में प्राप्त की । चम्बा में खज्जीनाग ( खजियार ) , हिडिम्बा मंदिर ( मैहला ) और सीताराम मंदिर ( चम्बा ) का निर्माण पृथ्वी सिंह की नर्स
 ( दाई ) बाटलू ने करवाया जिसने पृथ्वी सिंह के प्राणों की रक्षा की थी ।

 16 . चतर सिंह ( 1664 ई . ) - चतर सिंह ने बसौली पर आक्रमण कर भलेई पर कब्जा किया था । चतर सिंह औरंगजेब का समकालीन था । उसने 1678 ई . में औरंगजेब का सभी हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने का आदेश मानने से इन्कार कर दिया था । 

17 . उदय सिंह ( 1690 ई . ) - चतर सिंह के पुत्र राजा उदय सिंह ने अपने चाचा वजीर जय सिंह की मृत्यु के बाद एक नाई को उसकी पुत्री के प्रेम में पड़कर चम्बा का वजीर नियुक्त कर दिया ।

18 . उम्मेद सिंह ( 1748 ) - उम्मेद सिंह के शासन काल में चम्बा राज्य मण्डी की सीमा तक फैल गया । उम्मेद सिंह का पुुत्र राज सिंह राजनगर में पैदा  हुआ। उम्मेद सिंह ने राजनगर में ' नाडा महल ' बनवाया । रंगमहल
( चम्बा ) की नींव भी उम्मेद सिंह ने रखी थी । उसने अपनी मृत्यु के बाद रानी के सती न होने का आदेश छोड़ रखा था । उम्मेद सिंह की 1764 ई . में मृत्यु हो गई थी ।

19 . राज सिंह ( 1764 ई . ) - राज सिंह अपने पिता की मृत्यु के बाद 9 वर्ष की आयु में राजा बना । घमण्ड चंद ने पथियार को चम्बा से छीन लिया । परन्त रानी ने जम्मू के रणजीत सिंह की मदद से इसे पुनः प्राप्त कर लिया । चम्बा के राजा राजसिंह और कागड़ा के राजा संसारचंद के बीच रिहल क्षेत्र पर कब्जे के लिए युद्ध हुआ । राजा राज सिंह की शाहपुर के पास 1794 ई . में युद्ध कदारान मृत्यु हो गई । निक्का , रांझा , छज्जू और हरकू राजसिंह के दरबार के निपुण कलाकार थे ।

 20 . जीत सिंह ( 1794 ई . ) - जीत सिंह के समय चम्बा राज्य ने नाथू बजीर को संसारचंद के खिलाफ युद्ध में सैनिकों के साथ भजा । नाथू बजीर गोरखा अमर सिंह थापा , बिलासपुर के महानचंद आदि के अधीन युद्ध लड़ने गया था ।

 21 , चरहट सिंह ( 1808 ई . ) - चरहट सिंह 6 वर्ष की आयु में राजा बना । नाथू वजीर राजकाज देखता था । रानी शारदा ( चरहट सह की माँ ) ने 1825 ई . में राधा कृष्ण मंदिर की स्थापना की । पद्दर के राज अधिकारी रतनू ने 1820 - 25 ई . में जास्कर पर आक्रमण कर उसे चम्बा का भाग बनाया था। 1838 ई . में नाथू बजीर की मृत्यु के बाद ' बजार भागा ' चम्बा का वजीर नियुक्त कि 1839 ई . में बिग्ने और जनरल कनिंघम ने चम्बा की यात्रा की । चरहट सिंह की 42 वर्ष की आयु में 1844 ई . में मृत्यु हो गई।

22 . श्री सिंह ( 1844 ई . ) - श्री सिंह 5 वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठा । लक्कड़शाह ब्राह्मण श्री सिंह के समय नियंत्रण रखे हुए था जिसकी बैलज में हत्या कर दी गई । अंग्रेजों ने 1846 ई . को जम्मू के राजा गुलाब सिंह को चम्बा दे दिया। परंतु बजीर भागा के प्रयासों से सर हैनरीलारेंस ने चम्बा की वर्तमान स्थिति रहने दी । भद्रवाह को हमेशा के लिए चम्बा से लेकर जामू दे दिया गया । श्रीसिंह के समय चम्बा  1846 ई . में अंग्रेजों के अधीन आ गया । श्री सिंह को 6 अप्रैल , 1848 को सनद प्रदान श्री सिंह 1857 ई . के विद्रोह के समय अंग्रेजों के प्रति समर्पित रहा । उसने मिया अवतार सिंह के अधीन डलहौजी की सहायता के लिए सेना भेजी । बजीर भागा 1854 ई . में सेवानिवृत्त हो गया और उसका स्थान वजीर बिल्लू ने ले लिया। ब्लयर रीड 1863 ई . में चम्बा के सुपरिन्टेन्डेन्ट बने । 1863 ई . में डाकघर खोला गया । चम्बा को अंग्रेजों को 903 लीज पर दे दिया गया । श्री सिंह की 1870 ई . में मृत्यु हो गई ।

 23 . गोपाल सिंह ( 1870 ई . ) - श्री सिंह का भाई गोपाल सिंह गद्दी पर बैठा । उसने शहर की सुंदरता बढ़ाने के लिए कई किए । उसके कार्यकाल में 1871 ई . में लाई मायो चम्बा आए । गोपाल सिंह को गद्दी से हटा 1873 ई . में उसके बड़े बेटे शाम को राजा बनाया गया । 

24 . शाम सिंह ( 1873 ई . ) - शाम सिंह को 7 वर्ष की आयु में जनरल रेनल टेलर द्वारा राजा बनाया गया और मियां अवतार सिंह को बजीर बनाया गया । सर हेनरी डेविस ने 1874 ई . में चम्बा की यात्रा की । शाम सिंह ने 1875 ई . और 1877 ई . के दिल्ली दरबार में भाग लिया । वर्ष 1878 ई . में जान हैरी को शाम सिंह का शिक्षक नियुक्त किया गया । चम्बा के महल में दरबार हॉल की C . HT . मार्शल के नाम पर जोड़ा गया । वर्ष 1880 ई . में चम्बा में हाप्स की खेती शुरू हुई । सर चार्ल्स एटिक्सन ने 1883 ई . में चम्बा की यात्रा की । 
1875 ई . में कर्नल रीड के अस्पताल को तोड़कर 1891 ई . में 40 बिस्तरों का शाम सिंह अस्पताल बनाया गया  । रावी नदी पर शीतला पुल जो 1894 ई . की बाढ़ में टूट गया था की जगह लोहे का सस्पेंशन पुल बनाया गया । 1895 ई . में भटियात में विद्रोह हुआ । शाम सिंह के छोटे भाई मियां भूरी सिंह को 1898 ई . में वजीर बनाया गया । वर्ष 1900 ई . में लाई कर्जन और उनकी पली चम्बा की यात्रा पर आए । 1902 ई . में शाम सिंह बीमार पड़ गए । वर्ष 1904 ई . में भूरी सिंह को चम्बा का राजा बनाया गया ।

25 . राजा भूरी सिंह ( 1904 ई . ) - राजा भूरी सिंह को 1 जनवरी , 1906 . को नाईटहुड की उपाधि प्रदान की गई । भूरी सिंह संग्रहालय की स्थापना 1908 ई . में की गई । राजा भूरी सिंह ने प्रथम विश्व युद्ध ( 1914 - 18 ) में अंग्रेजों की सहायता की । साल नदी पर 1910 ई . में एक बिजलीघर का निर्माण किया गया जिससे चम्बा शहर को बिजली प्रदान की गई । राजा भूरी सिंह की 1919 इ . में मृत्यु हो गई । राजा भूरी सिंह की मृत्यु के बाद टिक्काराम सिंह ( 1919 - 1935 ) चम्बा का राजा बना ।

26 . राजा लक्ष्मण सिंह - राजा लक्ष्मण सिंह को 1935 ई . में चम्बा का अंतिम राजा बनाया गया । चम्बा रियासत 15 अप्रैल , 1948 ई . को हिमाचल  का हिस्सा बन गई ।

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