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himachal pradesh irrigation system
हिमाचल की सिंचाई और परियोजनाएँ
1. सिंचाई - हि.प्र . के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 55.67 लाख हेक्टेयर में से शुद्ध बोया गया क्षेत्र 5.83 लाख हेक्टेयर है । इसमें से कुल सिंचित क्षेत्र 3.35 लाख हेक्टेयर है जिसमें से 0.50 लाख हेक्टेयर मध्यम सिचाई योजना और 2.85 लाख हेक्टेयर लघु सिंचाई योजना के अंतर्गत लाया जा सकता है । हि.प्र . के कुल सिंचित क्षेत्र में से ( 3.35 लाख हेक्टेयर ) 1.07 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर ही सिंचाई नहरें , टैंक , कुओं , ट्यूबवेल और कुहल द्वारा होती है । 0.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई नालियों , कुहलों द्वारा होती है । ऊन्म में ट्यूबवेल से सर्वाधिक सिंचाई होती है । काँगड़ा जिले में सिंचित क्षेत्रफल सर्वाधिक है । वर्ष 2012 तक हि.प्र . में 26,132 हैण्डपम्प लगाये गये थे ।
( i ) जलमणी कार्यक्रम - ग्रामीण स्कूलों में स्वच्छ पेयजल के लिए Purification System ( UV & Terafil ) लगाना । वर्ष 2012 तक स्कूलों में 3746 प्यूरीफायर लगाए जा चुके थे । सिंचाई परियोजना - हिमाचल प्रदेश के कृषि अधीन क्षेत्र के केवल 18 % क्षेत्र में सिंचाई होती है । शेष 82 % क्षेत्र वर्षा पर निर्भर करता है ।
irrigation in himachal pradesh
1. शाह नहर परियोजना - यह हिमाचल की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना है । शाहनगर परियोजना मुख्यतः काँगड़ा जिले में है । इस परियोजना द्वारा 15,287 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है ।
2. बभौर साहिब परियोजना - इस परियोजना के लिए नंगल डैम जलाशय से पानी लिया जाएगा । इस परियोजना द्वारा 3563 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी ।
3. बल्ह घाटी परियोजना - इस परियोजना द्वारा 2410 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होता है ।
4. बल्दवाड़ा परियोजना - यह परियोजना मण्डी जिले में है । इस परियोजना से 3400 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होगा । इस परियोजना पर 3 करोड़ की लागत आने की संभावना है ।
5. बिलासपुर की चंगर परियोजना द्वारा 2350 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित किया जाएगा ।
6. गिरी सिंचाई परियोजना द्वारा 5263 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित किया जाएगा ।
वन परियोजना Forest project Himachal
1. राष्ट्रीय वन विकास परियोजना सामाजिक वानिकी ( अम्बरेला ) परियोजना - इस योजना में जलाने की लकड़ी , पशुओं के चारे व वृद्धि के लिए निजी व सरकारी डी ग्रेड जंगलात भूमि पर वृक्षारोपण किया जाएगा । यह परियोजना 1985-86 में विश्व बैंक की सहायता से प्रारम्भ की गई , जिस पर 65 करोड़ की लागत का अनुमान है ।
2. ग्रामीण ईंधन सामाजिक वनरोपण परियोजना - इस परियोजना द्वारा व्यर्थ सरकारी भूमि , सड़कों के किनारे , आदि में इंधन की लकड़ी वाले पौधों का रोपण करना है । यह परियोजना राज्य व केन्द्र सरकार 50:50 के अनुपात की लागत से चला रही है । यह परियोजना काँगड़ा , हमीरपुर , मण्डी , शिमला , सोलन में चलाई जा रही है ।
3. धौलाधार प्रक्षेत्र वानिकी परियोजना - यह परियोजना जर्मनी की सहायता से चलाई जा रही है । यह वनरोपण पशुपालन , ईंधन के लिए लकड़ी जलाने से बचाने वाले साधनों की संयुक्त योजना थी । यह परियोजना छठी पंचवर्षीय योजना के साथ आरंभ होकर चली आ रही है ।
अन्य परियोजनाएँ
1. मरूस्थल विकास कार्यक्रम ( स्पीति पूह ) -यह योजना लाहौल स्पीति के स्पीति और किन्नौर जिले के पूह को हरे - भरे क्षेत्र में परिवर्तित करने के लिए है । इस परियोजना का पूरा खर्च केन्द्र सरकार उठा रही है ।
2. समेकित बंजर भूमि विकास परियोजना - यह परियोजना मुख्यतः कुल्लू , लाहौल - स्पीति जिलों में शुरू की गई है ।
3. ईंधन एवं चारा परियोजना - शिमला जिले के रामपुर , सिरमौर के नाहन , हमीरपुर , मण्डी , काँगड़ा के धर्मशाला में 50:50 के आधार पर ईंधन एवं चारा परियोजना चलाई जा रही है ।
4. विश्व बैंक की सहायता से कण्डी परियोजना - शिवालिक क्षेत्र की मरकण्डा , घग्घर , स्वान , सिरसा चक्की नदियों पर चलाई जा रही है ।
5. पारिस्थितिक विकास परियोजना - यह विश्व बैंक की परियोजना है जिसके अंतर्गत ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क ( कुल्लू ) के विकास की योजना है ।
6. नदी घाटी भू - संरक्षण परियोजना - यह योजना सतलुज एवं ब्यास क्षेत्रों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित है ।
7. समेकित जल विभाजक प्रबंधक - यह परियोजना केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित है । इसके तहत गिरी - बाटा , पब्बर - टोंस , स्वान नदी ( ऊना ) के बाढ़ संभावित क्षेत्रों में कार्य चल रहा है ।
8. इको टास्क फोर्स - केन्द्र सरकार की यह योजना किन्नौर बंजर भूमि के विकास के लिए है ।
9. इंडो जर्मन परियोजना - यह परियोजना काँगड़ा मण्डी जिले में चंगर के विकास के लिए है । इसे जर्मन सरकार द्वारा सहायता दी जा रही है ।