हिमालय अपवाह तंत्र : Himalayan drainage system of india in hindi
गंगा , सिंधु व ब्रह्मपुत्र नदी द्रोणियाँ शामिल हैं । यहाँ की नदियाँ बारहमासी हैं , क्योंकि ये बर्फ पिघलने व वर्षण दोनों पर निर्भर हैं । ये नदियाँ गहरे महाखड्डों ( Gorges ) से गुजरती हैं , जो हिमालय के उत्थान के साथ - साथ अपरदन क्रिया द्वारा निर्मित हैं । महाखड्डों के अतिरिक्त ये नदियाँ अपने पर्वतीय मार्ग में V- आकार की घाटियाँ , क्षिप्रिकाएँ व जलप्रपात भी बनाती हैं ।
• जब ये नदियाँ मैदान में प्रवेश करती हैं , तो निक्षेपणात्मक स्थलाकृतियाँ जैसे - समतल घाटियों , गोखुर झीलें , बाढ़कृत मैदान , गुंफित वाहिकाओं और नदी के मुहाने पर डेल्टा का निर्माण करती हैं ।
• इन नदियों का मार्ग टेढ़ा है , जिसके कारण यह अपना मार्ग परिवर्तित करती रहती हैं ।
1● सिंधु नदी तंत्र: sindh Drainage system
• सिंधु नदी तन्त्र विश्व के विशालतम नदी तन्त्रों में से एक है ।
इसकी कुल लंबाई 2,880 किमी है । भारत में इसकी लंबाई 709 किमी है । भारत में यह हिमालय की नदियों में सबसे पश्चिमी है ।
● इसका उद्गम तिब्बत के पठारी क्षेत्र में मानसरोवर • झील के पास 5,180 मीटर की ऊँचाई से होता है । तिब्बत में इसे सिंगी खंबान ( Singi Khamban अथवा शेर मुख कहते हैं । लद्दाख श्रेणी को काटते . हुए यह नदी कश्मीर में गिलगिट के समीप एक दर्शनीय महाखड्ड ( Canyon ) का निर्माण करती है ।
* सिंधु नदी की बहुत - सी सहायक नदियाँ हिमालय पर्वत से निकलती हैं , जैसे - श्योक , गिलगिट , जास्कर , हुंजा , नुब्रा , शिगार , गास्टिंग व द्रास ।
* सिंधु पाकिस्तान में दक्षिण की ओर बहती हुई मीठनकोट के निकट पंचनदका जल प्राप्त करती है । पंचनद नाम पंजाब की पाँच मुख्य नदियों सतलज , व्यास , रावी चेनाब और झेलम को दिया गया है । अंत में सिंधु नदी पाकिस्तान के कराची के पूर्व में अरब सागर में जा गिरती है ।
सिंधु जल संधि
• वर्ष 1960 ई . में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि के अनुसार , भारत सिंधु , झेलम और चिनाब नदियोंका केवल 20 % जल ही उपयोग में ला सकता है ।
• सतलज नदी तिब्बत के नारी खोरसन ( Nari Khorsan ) प्रांत में एक असाधारण कैनयन का निर्माण करती है जो कोलोराडो नदी ( अमेरिका ) के ग्रांड कैनयन ( Grand Canyon ) के समान है ।
● गंगा नदी तंत्र: Gaanga Drainage system
• गंगा नदी तंत्र भारत का सर्वाधिक विस्तृत नदी तंत्र है । गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों में भारत की 40 प्रतिशत से भी अधिक आबादी निवास करती हैं ।
* इस नदी की लंबाई 2.525 किमी है । यह उत्तराखंड में 110 किमी , उत्तर प्रदेश में 1,450 किमी , बिहार में 445 किमी और पश्चिम बंगाल में 520 किमी मार्ग तय करती है ।
• गंगा द्रोणी केवल भारत में लगभग 8.6 लाख वर्ग किमी , क्षेत्र में फैली हुई है । यह भारत का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है । · O * गंगा उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से 6,600 मीटर की ऊँचाई से निकलती है । यहाँ यह भागीरथी के नाम से जानी जाती है ।
• देवप्रयाग में भागीरथी , अलकनंदा से मिलती है और इसके बाद गंगा कहलाती है । अलकनंदा नदी का स्रोत बद्रीनाथ के ऊपर सतोपथ हिमनद है । अलकनंदा की दो धाराएँ - धौली गंगा व विष्णु गंगा , विष्णुप्रयाग के निकट परस्पर मिलती हैं । पिण्डार नदी कर्णप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है , जबकि मंदाकिनी या काली गंगा ( स्रोत- केदारनाथ ) रुद्रप्रयाग के निकट अलकनंदा से मिलती है ।
• गंगा नदी हरिद्वार में मैदान में प्रवेश करती है । यहाँ से यह पहले दक्षिण की ओर , फिर दक्षिण - पूर्व की ओर और फिर पूर्व की ओर बहती है ।
अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह:
इसके दाहिने किनारे पर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदी है । दक्षिणी पठार से आकर सीधे गंगा में मिलने वाली नदी टोंस एवं सोन हैं , जो क्रमश : इलाहाबाद के बाद एवं पटना से पहले गंगा में मिलती हैं । बाएँ तट पर मिलने वाली महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ रामगंगा , गोमती , घाघरा , गंडक , कोसी व महानंदा हैं ।
• जब गंगा नदी पश्चिमी बंगाल में पहुँचती है , तो भागीरथी और हुगली नाम की दो प्रमुख वितरिकाओं में बँट जाती है । ज्ञातव्य है कि वितरिका ( Distributary ) मुख्य नदी से निकलने वाली ऐसी
छोटी नदी होती है जिसमें वह पुनः नहीं मिलती है ,
जैसे - हुगली । आगे छोटानागपुर पठार की दामोदर नदी हुगली में आकर मिलती है । फरक्का बाँध हुगली नदी पर ही बना है । मुख्य नदी ( भागीरथी ) बांग्लादेश में चली जाती है , जहाँ वह पहले पद्मा की संज्ञा से अभिहित की जाती है । यहाँ से गंगा कई धाराओं में बँटकर डेल्टाई मैदान में दक्षिण की ओर बहती हुई समुद्र से मिलती है । पाबना से पूर्व , गोलुंडो के पास ब्रह्मपुत्र ( जो बांग्लादेश में जमुना के नाम से पहचानी जाती है ) पद्मा से मिलती है । संयुक्त धारा पद्मा के नाम से आगे बढ़ती है । चांदपुर के पास मेघना इससे आ मिलती है और तत्पश्चात यह मेघना नाम से ही अनेक जल - वितरिकाओं में बॅटकर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है ।
• गंगा - ब्रह्मपुत्र का डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है , जिसका विस्तार हुगली और मेघना नदियों के बीच है । डेल्टा का समुद्री भाग घने वनों से ढका है । सुन्दरी नामक वृक्ष की अधिकता से यह ' सुन्दर वन ' कहलाता
नोट:
● यमुना , गंगा की सबसे पश्चिमी और सबसे लंबी • सहायक नदी है । इसका स्रोत यमुनोत्री हिमनद है , जो हिमालय में बंदरपूँछ श्रेणी की पश्चिमी दाल पर 6,315 मीटर ऊँचाई पर स्थित है । प्रायद्वीप पठार से निकलने वाली चंबल , सिंध , बेतवा व केन इसके दाहिने तट पर मिलती है , जबकि हिंडन , रिंद , सेंगर वरुणा आदि नदियाँ इसके बाएँ तट पर मिलती है । प्रयाग ( इलाहाबाद ) में इसका गंगा से संगम होता है ।
■ कोसी नदी मार्ग परिवर्तन तथा आकस्मिक बाढ़ के लिए कुख्यात है । यह नदी बिहार में धन - जन को अपार क्षति पहुँचाती है जिस कारण इसे बिहार का शोक ' ( Sorrow of Bihar ) कहा जाता है ।
• छोटानागपुर पठार के पूर्वी किनारे पर दामोदर नदी बहती है , जो भ्रंश घाटी से होती हुई हुगली नदी में गिरती है । कभी बंगाल का शोक ( Sorrow of Bengal ) कही जाने वाली इस नदी को दामोदर घाटी बहुउद्देशीय परियोजना ने वश में कर लिया है ।
3. ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र: Bharamputar Drainage system
* विश्व की सबसे बड़ी नदियों में से एक ब्रह्मपुत्र का उद्गम कैलाश पर्वत श्रेणी में मानसरोवर झील के निकट चेमायुगडुग ( Chemayungdung ) हिमनद में है । यहाँ से यह पूर्व दिशा में अनुदैर्ध्य रूप में बहती हुई दक्षिणी तिब्बत के शुष्क व समतल मैदान में लगभग 1,200 किमी की दूरी तय करती है , जहाँ इसे सांग्पो ( Tsangpo- शुद्ध करने वाला ) के नाम से जाना जाता है ।
• अरुणाचल प्रदेश में सादिया कस्बे के पश्चिम में यह नदी दिहांग के नाम से भारत में प्रवेश करती है । दक्षिण - पश्चिम दिशा में बहते हुए असम में यह नदी ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है ।
● असम घाटी में अपनी 750 किमी की यात्रा में ब्रह्मपुत्र में असंख्य सहायक नदियाँ आकर मिलती हैं । इसके बाएँ तट की प्रमुख सहायक नदियाँ बूढ़ी दिहांग , धनसीरी ( दक्षिण ) और कालांग हैं , जबकि दाएँ तट पर मिलने वाली महत्वपूर्ण सहायक नदियों में स्वर्णसीरी , कामेंग , मानस व संकोश हैं ।
* ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है और फिर दक्षिण दिशा में बहती है । बांग्लादेश में तीस्ता नदी इसके दाहिने किनारे पर मिलती है और इसके बाद यह जमुना कहलाती है । अंत में यह नदी पद्मा .( गंगा ) के साथ मिलकर सुन्दरवन नामक विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा बनाती है ।
* ब्रह्मपुत्र की कुल लंबाई 2900 किमी है , जबकि भारत में इसकी कुल लंबाई 885 किमी ही है ।
* ब्रह्मपुत्र नदी बाढ़ , मार्ग परिवर्तन एवं तटीय अपरदन के लिए जानी जाती है । ऐसा इसलिए है , क्योंकि इसकी अधिकतर सहायक नदियाँ बड़ी हैं और इनके जलग्रहण क्षेत्रों में भारी वर्षा के कारण इनमें अत्यधिक अवसाद बहकर आ जाता है । इस कारण इसमें कुछ बहुत बड़े द्वीप हैं । जैसे - असम में मजूली विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप है ।
* यह विश्व के सबसे आश्चर्यजनक नाव्य जलमार्गों में से एक है , जहाँ समुद्रतल से लगभग 4,000 मीटर की ऊँचाई पर भी नावें चलती हैं ।
क्या आप जानते हैं ?
यह ध्यान देने योग्य बात है कि भारत में बहने के अनुसार सबसे लंबी नदी गंगा है और भारत में प्रवाहित होने वाली नदियों की कुल लंबाई के आधार पर ब्रह्मपुत्र सबसे लंबी नदी है । ब्रह्मपुत्र भारत की सबसे बड़ी नदी ( Largest river of India ) ( जल की मात्रा के हिसाब से ) है । यह विश्व की चौथी सबसे बड़ी नदी है ।
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