Himachal का मोसम और जलवायु
मौसम - हिमाचल प्रदेश के मौसम को 3 ऋतुओं में बाँटा जा सकता है
1. तोंदी ( प्रीष्ण प्रातु ) -यह प्रायः अप्रैल से जून तक का मौसम है , जिसमें निम्न क्षेत्रों में बहुत गर्मी पड़ती है जबकि मध्य व ऊपरी भाग में मौसम सुहावना रहता है ।
2. बरसात ( वर्षा चातु ) -यह मौसम जुलाई से सितम्बर तक माना जाता है । प्रदेश में औसत वर्षा 1600 मिलीमीटर होती है ।
3. हयूंद ( शरद धातु ) -यह मौसम अक्टूबर से मार्च तक रहता है । अधिकतर भागों में बर्फ दिसम्बर , जनवरी व फरवरी के महीनों में पड़ती है ।
जलवायु - हिमाचल प्रदेश की जलवायु में ऊँचाई के आधार पर अंतर पाया जाता है । यहाँ शिवालिक क्षेत्रों ( 350 मी . से 1500 मी . ) में ग्रीष्म ऋतु में खूब गर्मी पड़ती है , वहीं मध्य हिमाचल क्षेत्रों के भाग में मौसम सुहावना होता है तथा उच्च हिमालय क्षेत्रों में हिमाचल के उच्च हिमालय क्षेत्रों में 9 महीने तक बर्फ जमी रहती है । हिमाचल प्रदेश से 1500 मीटर के ऊपर क्षेत्रों में हिमपात ठण्ड पड़ती है । ऊपरी भागों में आर्द्रता ( नमी ) कम रहती है ।
हिमाचल में प्राकृतिक आपदा
1. भूकंप - हिमाचल प्रदेश में अब तक का विनाशकारी भूकम्प 4 अप्रैल , 1905 ई . में काँगड़ा में आया था । इसमें करीब 20,000 जाने गई थीं और लगभग 6,00,000 वर्ग मील तक इसका असर पड़ा था । यह भूकम्प रिक्टर पैमाने पर 8 तक मापा गया था । हिमाचल प्रदेश हिमालय पर्वत के उस क्षेत्र में पड़ता है , जहाँ पर भूकंप के झटके लगने की संभावना ज्यादा पाई गई है ।
2. बादल फटना - बादल फटने की घटना आमतौर पर 2000 मी . से 3000 मी . तक की ऊँचाई के क्षेत्रों में पाई गई है । यह घटना मुख्यतः वर्षा प्रतु में घटती है । कुल्लू व शिमला जिले मुख्यतः इस प्राकृतिक आपदा से अधिक प्रभावित रहे हैं ।
3. हिमाचल प्रदेश में मुखातः बाढ़ आने का कारण बादल का फटना है । बादल फटने से नदियों का जल स्तर एकाएक बढ़ जाता है और अपने तटगी दोनों में जान पाल को भारी हानि पहुँचाता है ।